जवाब है" निदान प्लाटीनियस के समझाने से राजसभा का मन फिर गया और उसने उन्हें कैद से छोड़ दिया.
"मेसीडोन के बादशाह पीरस ने रोम के कैदियों को छोड़ा उस समय फ्रेबीशियस नामी एक रोमी सरदार को एकांत में ले जा कर कहा “मैं जानता हूं कि तुम जैसा वीर, गुणवान स्वतंत्र और सच्चा मनुष्य रोम के राज्यभर में दूसरा नहीं है जिसपर तुम ऐसे दरिद्री बन रहे हो. यह बड़े खेद की बात है! सच्ची योग्यता की कदर करना राजाओं का प्रथम कर्तव्य है इस लिये मैं तुमको तुम्हारी पदवी के लायक धनवान बनाया चाहता हूं परंतु मैं इसमें तुम्हारे ऊपर कुछ उपकार नहीं करता अथवा इसके बदले तुम से कोई अनुचित काम नहीं लिया चाहता. मेरी केवल इतनी प्रार्थना है कि उचित रीति अपना कर्तव्य सम्पादन किये पीछे न्याय पूर्वक मेरी सहायता हो सके तो करना.” फेब्रीशियस ने उत्तर दिया कि "निस्संदेह मैं धनवान नहीं हूं.मैं एक छोटे से मकान में रहता हूं और ज़मीन का एक छोटासा क्रिता मेरे पास है, परंतु ये मेरी जरूरत के लिये बहुत है और जरूरत से ज्यादा लेकर मुझको क्या करना है? मेरे सुख में किसी तरह का अंतर नहीं आता मेरी इज्जत और धनवानों से बढ़कर है, मेरी नेकी मेरा धन है मैं चाहता तो अबतक बहुत सी दौलत इकट्ठी कर लेता, परंतु दौलत की अपेक्षा मुझको अपनी इज्जत प्यारी है इसलिये तुम अपनी दौलत अपने पास रखो और मेरी इज्जत मेरे पास रहने दो."
"नोशेरवां अपनी सेना का सेनापति आप था एक बार उसकी मंजूरी से ख़ज़ांची ने तन्ख्वाह बांटने के वास्ते सब सेना