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प्रबंध(इन्तज़ाम).
 


पर किसी साहूकार का दिवाला निकल जाता है रुपये का माल दो-दो आने को बिकता फिरता है”

“परंतु काम किये बिना अनुभव कैसे हो सकता है?” मुन्शी चुन्नीलाल ने पूछा.

"सावधान मनुष्य काम करने से पहले औरों की दशा देखकर हरेक बात का अनुभव अच्छी तरह कर सकता है और अनायास कोई नया काम भी उसको करना पड़े तो साधारण भाव से प्रबन्ध करने की रीति जानकर और और बातों के अनुभव का लाभ लेने से काम करते-करते वह मनुष्य उस विषय में अपना अनुभव अच्छी तरह बढ़ा सकता है. सो मैं प्रथम कह चुका हूं कि लाला साहब प्रबन्ध करने की रीति जान जायंगे तो हरेक काम का प्रबन्ध अच्छी तरह कर सकेंगे" लाला ब्रजकिशोर ने जवाब दिया.

"आप के निकट प्रबन्ध करने की रीति क्या है?” लाला मदनमोहन ने पूछा.

“हरेक काम के प्रबन्ध करने की रीति जुदी-जुदी हैं परंतु मैं साधारण रीति से सब का तत्व आप को सुनाता हूँ" लाला ब्रजकिशोर कहने लगे "सावधानी की सहायता लेकर हरेक बात का परिणाम पहले से सोच लेना और उन सब पर एक बार दृष्टि कर के जितना अवकाश हो उतने ही में सब बात का ब्योंत बना लेना निरर्थक चीज़ों को काम में लाने की युक्ति सोचते रहना और जो-जो बातें आगे होने वाली मालूम हों उनका प्रबन्ध पहले ही से दूर दृष्टि पहुंचा कर धीरे-धीरे इस भांति करते जाना कि समय पर सब काम तैयार मिलें, किसी