पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/७

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बचन में और विषय आ जाते हैं तो ऐसे “चिन्ह (इन्वरटेड-कोमा ) से पहला वचन पूरा किये बिना दूसरे पैराग्राफ के आदि से ऐसे"चिन्ह लगाकर उसी का वचन जारी रखा जाताहै और वचन के बीच में दूसरे का वचन आ जाता है तो वहां उस वचन को अलग दिखाने के लिये उसपर भी अक्सर इन्वरटेडकोमा लगा दिये जाते हैं परंतु जो वचन ऐसे“ ” चिन्हों के भीतर नहीं होते वह पुस्तक रचने वाले की तरफ से होते हैं.

और चिन्हों मेें ऐसा , (कोमा) किंचित विश्राम,ऐसा;(सेमीकोलन) अथवा : (कोलन अर्ध बिश्राम,ऐसा.(फुुुलिस्टप) पूर्णविश्राम,ऐसा ? (इन्ट्रोगेशन) प्रश्न की जगह ऐसा ! (एक्सक्ल मेशन) आश्चर्य अथवा संबोधन वगैरे के जो शब्द जोर देेेकर बोोलने चााहिए उन्के आगे ऐसा-चिन्ह बात अधूरी छोड़नें के समय लगाया जाता है और ऐसे () चिन्हों (पेरेन थिसेस) के भीतर पहले पद का खुलासा अर्थ या चलते प्रसंग में कोई दूतरफी अथवा विशेष बात जतानी होती है वह लिख देते हैं.

इस पुस्त्तक में दिल्ली के एक कल्पित (फर्जी) रईस का चित्र उतारा गया है और उस्को जैसे का तैसा (अर्थात्स्वा भाविक) दिखाने के लिये संस्कृत अथवा फारसी अरबी के कठिन कठिन,शब्दों की बनाई हुई भाषाके बदले दिल्लीके रहनेंवालोंकी साधारण बोलचाल पर ज्यादः दृष्टि रखी गई है. अलबत्ता जहां कुछ बिद्या- बिषय आ गया है वहां विवस होकर कुछ,कुछ शब्द संस्कृत आदि के लेने पड़े हैं परंतु जिनको ऐसी बातों समझने में कुछ झमेल मालूम हो उनकी सुगमता के लिये ऐसे प्रकरणों पर ऐसा-