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परीक्षा गुरु
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स्पति को फ़ायदा पहुँचाता है इसी तरह अच्छे आदमी दुष्कर्म से बचते हैं परंतु सावधानी का योग मिले बिना हीरा की तरह कीमती नहीं हो सकते।"

"मुझे तो यह बातें मन:कल्पित मालूम होती हैं क्योंकि संसार के बरताव से इसकी कुछ बिध नहीं मिती संसार में धनवान् कुपढ, दृरिद्री, पंडित, पापी सुखी ,धर्मात्मा दुखी असावधान अधिकारी सावधान आज्ञाकारी भी देखने में आते हैं” मास्टर शिंभूदयाल ने कहा.

“इसके कई कारण हैं” लाला ब्रजकिशोर कहने लगे "मैं पहले कह चुका हूं कि ईश्वर के नियमानुसार मनुष्य जिस विषय में भूल करता है बहुधा उसको उसी विषय में दंड मिलता है. जो विद्वान दरिद्री मालूम होते हैं वह अपनी विद्या में निपुण हैं परंतु संसारिक व्यवहार नहीं जाते अथवा जान बूझ कर उसके अनुसार नहीं बरतते. इसी तरह जो कुपढ़ धनवान दिखाई देते हैं वह विद्या नहीं पढ़े परंतु द्रव्योपार्जन करने और उसकी रक्षा करने की रीति जानते हैं. बहुधा धनवान रोगी होते हैं और ग़रीब नैरोग्य रहते हैं इसका यह कारण है कि धनवान द्रव्यो- पार्जन करने की रीति जान्ते हैं परंतु शरीर की रक्षा उचित रीति से नहीं करते और गरीबों की शरीर रक्षा उचित रीति से बन जाती है परंतु वे धनवान होने की रीति नहीं जानते. इसी तरह जहां जिस बात की कसर होती है वहां उसी चीज की कमी दिखाई देती हैं. परंतु कहीं-कहीं प्रकृति के विपरीत पापी सुखी, धर्मात्मा दुखी असावधान अधिकारी, सावधान आज्ञाकारी दिखाई देते हैं. इसके दो कारण हैं. एक यह कि संसार