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परीक्षा गुरु.
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"और जबतक लालाजी घर नहीं जायंगे हम भी नहीं जायंगे" यह कहकर दोनों लड़के मदनमोहन के गलेसे लिपट गए और रोनें लगे उस्समय मदनमोहन की आंखों सै आंसू टपक पड़े और ब्रजकिशोर का जी भर आया.

"अच्छा! तो तुम लालाजीके पास खेलते रहोगे? मैं जाउ?” लाला ब्रजकिशोरनें पूछा.

“हां हां तुम अलेई जाओ, हम अपनें लालाजी के पाछ (पास) खेला करेंगे” एक लड़केनें कहा.

"और भूक लगी तो?” ब्रजकिशोर नें पूछा

“यह हमें बप्फी मंगा देंगे” छोटा लड़का अंगुली से मदनमोहन को दिखाकर मुस्करा दिया.

“महाकवि कालिदास नें सच कहा है वे मनुष्य धन्य हैं जो अपने पुत्रों को गोद मैं लेकर उन्के शरीर की धूल सै अपनी गोद मैली करते हैं और ज़ब पुत्रों के मुख अकारण हंसी सै खुल जाते हैं तो उन्के उज्ज्वल दांतों की शोभा देखकर अपना जन्म सफल करते हैं” लाला ब्रजकिशोर बोले और उन लड़कों के पास उन्के रखवाले को छोड़कर आप अपने काम को चले गए.

बच्चे थोडी देर प्रसन्नता सै खेलते रहे परन्तु उन्को भूक लगी तब वह भूकके मारे रोनें लगे पर वहां कुछ खानें को मौजूद न था इसलिये मदनमोहन का जी उस्समय बहुत उदास हुआ.

इतने में सन्ध्या हुई इस्लै हवालात का दरवाज़ा बन्द करनें के लिये पोलिस आ पहुची अबतक उस्नें दीवानी की हवालात और मदनमोहन ब्रजकिशोर आदि का काम समझकर विशेष