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धोखेकी टट्टी.
 

थे जिन्हों नें केवल अपनें फ़ायदे के लिये धनवानों का सा ठाठ बना रक्खा था इस वास्तै वह मदनमोहन के मित्र न थे उस्के द्रब्यके मित्र थे वह मदनमोहन पर किसी न किसी तरहका छप्पर रखनें के लिये उस्का आदर सत्कार करते थे इस लिये इस अवसर पर वह अपना पर्दा ढकनें के हेतु मदनमोहन के बिगाड़नें मैं अधिक उद्योग न करें इसी मैं उन्का विशेष अनुग्रह था इस्सै अधिक सहायता मिलनें की उन्सै क्या आशा हो सकती थी? कोई, कोई धनवान ऐसे थे जो केवल हाकमों की प्रसन्नता के लिये उन्की पसन्दके कामों मैं अपनी अरुचि होनें पर भी जी खोलकर रुपया दे देते थे परन्तु सच्ची देशोन्नति और उदारताके नाम फूटी कौड़ी नहीं ख़र्ची जाती थी वह केवल हाकमों सै मेल रखने मैं अपनी प्रतिष्ठा समझते थे परन्तु स्वदेशियों के हानि लाभ का उन्हें कुछ विचार न था, केवल हाकमों मैं आनें जानें वाले रईसों से मेल रखते थे और हाकमों की हां मैं हां मिलाया करते थे इसवास्ते साधारण लोगों की दृष्टि मैं उन्का कुछ महत्व न था. हाकमों मैं आनें जानें के हेतु मदनमोहन की उन्सै जान पहचान हो गई थी परन्तु वह मदनमोहन का काम बिगड़ने सै प्रसन्न थे क्योंकि वह मदनमोहन की जगह कमेटी इत्यादि मैं अपना नाम लिखाया चाहते थे इस वास्तै वह इस अवसर पर हाकमों सै मदनमोहन के हक़ मैं कुछ उलट पुलट न जड़ते यही उनकी बड़ी कृपा थी इस्सै बढ़ कर उन्की तरफ़ सै और क्या सहायता हो सक्ती थी? कोई, कोई मनुष्य ऐसे भी थे जो उनकी रक़म मैं कुछ जोखों न हो तो वह मदनमोहन को सहारा देनें के लिये तैयार थे परंतु अपनें ऊपर जोखों उठा