पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२०७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९७
लोक चर्चा (अफ़वाह).
 


"चुन्नीलाल अभी घर भोजन करनें आया था वह कहता था"

"वह अबतक घर हो तो उसे एक बार मेरे पास भेज देना हम लोग खुशी प्रसन्नतामैं चाहे जितनें लडते झगडते रहें परन्तु दुःख दर्द सबमैं एक हैं. तुम चुन्नीलाल, सै कह देना कि मेरे पास आनें मैं कुछ संकोच न करे मै उस्सै ज़रा भी अप्रसन्न नहीं हूं"