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प्रामाणिकता.
 


करते हैं हाकिम और नगरनिवासियों को इन्की बात पर बहुत विश्वास है. यह स्वतन्त्र मनुष्य हैं परन्तु स्वेच्छाचारी और अहंकारी नहीं हैं अपनी स्वतन्त्रता को उचित मर्यादा सै आगे नहीं बढ़नें देते परमेश्वर और स्वधर्म पर दृढ़ विश्वास रखते हैं, बात सच कहते हैं परन्तु ऐसी चतुराई सै कहते हैं कि इन्का कहना किसी को बुरा नहीं लगता और किसी की हक़ तल्फ़ी भी नहीं होनें पाती. यह थोथी बातों पर विवाद नहीं करते और इन्के कर्तव्य मैं अन्तर न आता हो तो ये दूसरे की प्रसन्नता के लिये अकारण भी चुप हो रहते हैं अथवा केवल संकेत सा कर देते हैं. जहां तक औरों के हक़ में अन्तर न आय; ये अपनें उपर दु:ख उठा कर भी परोपकार करते हैं वैरी सै सावधान रहते हैं परन्तु अपनें मन मैं उस्की तरफ़ का बैर भाव नहीं रखते, अपनी ठसक किसी को नहीं दिखलाया चाहते. यह मध्यम भाव सै रहनें को पसन्द करते हैं और इन्की भलमनलात सै सब लोग प्रसन्न हैं परन्तु मदनमोहन को इन्की बातें अच्छी नहीं लगतीं और लोगों सै यह केवल इतनी बात करते हैं जिस्मैं यह प्रसन्न रहैं और इन्हें झूंंट न बोलनी पड़े परन्तु मदनमोहन सै ऐसा सम्बन्ध नहीं है. उस्की हानि लाभ को यह अपनी हानि लाभ सै अधिक समझते हैं इसी वास्तै इन्की उस्सै नहीं बन्ती. यह कहते हैं कि "जब तक कुछ काम न हो; अपने पल्ले मैं किसी तरह का दाग लगाए बिना हर तरह के आदमी सै अच्छी तरह मित्रता निभा सक्ती है परन्तु काम पडे पर उचित रीति बिना काम नहीं चलता”

यह अपनी भूल जान्ते ही प्रसन्नता सै उस्को अंगीकार करके उस्के सुधारनें का उद्योग करते हैं इसी तरह जो बात नहीं