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स्वतन्त्रता और स्वेच्छाचार.
 


दस पांच दिन यहां से बाहर चले जाना अच्छा समझते हैं और इसी वास्ते ये झट-पट दिल्ली से बाहर जाने की तैयारी कर रहे हैं.


प्रकरण-१७

स्वतन्त्रता और स्वेच्छाचार.

जो कंहु सब प्राणीन सों होय सरलता भाव.
सब तीरथ अभिषेक ते ताको अधिक-प्रभाव+

विदुर विदुरप्रजागरे.

लाला मदनमोन कुतब जाने की तैयारी कर रहे थे इतने में लाला ब्रजकिशोर भी आ पहुंचे.

"आपने लाला हरकिशोर का कुछ हाल सुना?" ब्रजकिशोर के आते ही मदनमोहन ने पूछा.

"नहीं! मैं तो कचहरी से सीधा चला आया हूँ." फिर आप नित्य तो घर होकर आते थे आज सीधे कैसे चले आए?" मास्टर शिंभूदयाल ने संदेह प्रकट करके कहा.

"इसमें कुछ दोष हुआ? मुझको कचहरी में देर हो गयी थी इस वास्ते सीधा चला आया. तुम अपना मतलब कहो."


+ सर्वतीर्थेषु वा स्नानं सर्व भूतेषु चार्जवम्॥
उभे त्वेते सने स्याता मार्जवं वा विशिष्यते॥