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सुरा(शराब).
आपके घर के टुकडे़ खा-खा कर बड़े हुए थे वह दिन
भूल गए?"
लाला मदनमोहन ने बाबू बैजनाथ की नेक सलाहों का बहुत उपकार माना और वह लाला मदनमोहन से रुखसत होकर अपने घर गए.
जेनिंदितकर्मंनडरहिं करहिंकाज शुभजान॥
रक्षैं मंत्र प्रमाद तज करहिं न ते मदपान॥*
विदुरनीति.
"अब तो यहां बैठे-बैठे जी उखताता है चलो कहीं बाहर चलकर दस-पांच दिन सैर कर आवें” लाला मदनमोहन ने कमरे में आकर कहा.
“मेरे मन में तो यह बात कई दिन से फिर रही थी परन्तु कहने का समय नहीं मिला” मास्टर शिंभूदयाल बोले.
"हुजूर! आजकल कुतब में बडी बहार आ रही है थोड़े दिन पहले एक छींटा हो गया था इससे चारों तरफ हरियाली छा गई. इस समय झरने की शोभा देखने लायक है" मुन्शी चुन्नीलाल कहने लगे.
- अकार्य कारणा द्वौत: कार्याणांच विवर्जनात्॥
अकाले मंत्र भेदाच्च येनमाद्येन्नतत्पिबेत्॥