“क्या होगा? उसके पास सबूत क्या है? उसका गवाह कौन है? वह नालिश करेगा तो हम कानूनी पाइन्ट से उसको
पलट देंगे परंतु हम जानते हैं कि यहां तक नौबत न पहुंचेगी
अच्छा! उस्के पास आप की कोई सनद है?"
“कोई नहीं!"
“तो फिर आप क्यों डरते हैं? वह आप का क्या कर सकता है?"
"सच है उसको रुपये की गर्ज होगी तो वह नाक रगड़ता आप चला आयेगा. हम उसके नीचे नहीं दबे वही कुछ हमारे नीचे दब रहा है।"
"आप इस विषय में बिल्कुल निश्चिन्त रहें"
“मुझको थोड़ा सा खटका लाला ब्रजकिशोर की तरफ़ का है यह हर बात में मेरा गला घोंटते हैं और मुझको तोते की तरह पिंजरे में बंद रखना चाहते हैं।"
"वकीलों की चाल ऐसी ही होती है वह प्रथम धरती आकाश के कुल्लाबे मिलाकर अपनी योग्यता जताते हैं फिर दूसरे को तरह-तरह का डर दिखाकर अपने अधीन बनाते हैं और अंत में आप उसके घरबार के मालिक बन बैठते हैं परन्तु चाहे जैसा फ़ायदा हो मैं तो ऐसी परतन्त्रता से रहने को अच्छा नहीं समझता."
"मेरा भी यही विचार है मैं ज्यों-ज्यों दबता हूं वह ज्यादा दबाते जाते हैं इसलिये अब मैं नहीं दबा चाहता."
"आपको दबने की क्या ज़रूरत है? जबतक आप इनको मुँहतोड़ जवाब न देंगे यह सीधे न होंगे. लाला ब्रजकिशोर