सीधे तौर पर टकराती थी। लगभग ये सारी बातें ऐसी हैं जिनमे जर्मन लोग स्पार्टावासियो से मिलते हैं, क्योंकि जैसा कि हम ऊपर देख चुके हैं। स्पार्टावासियों में भी युग्म-विवाह पूरी तरह नहीं मिटा था। अतएव जर्मनों के इतिहास के रंगमंच पर उतरने के साथ-साथ इस मामले मे भी, एक बिलकुल नये तत्व का संसार मे प्राधान्य स्थापित हो गया। रोमन संसार के ध्वंसावशेपों पर नस्लों के सम्मिश्रण से एकनिष्ठ विवाह का जो नया रूप विकसित हुआ, उसने पुरुष के आधिपत्य को कुछ कम कठोर रूप दिया और स्त्रियों को, कम से कम बाह्य जीवन में, प्राचीन क्लासिकीय युग से कहीं अधिक स्वतंत्र और सम्मानित स्थान प्रदान किया। इससे इतिहास मे पहती बार नैतिक प्रगति का वह सबसे बड़ा कदम उठाया जा सका, जो एकनिष्ठ विवाह के आधार पर और उसके कारण अभी तक उठाया जा सका है। हमारा मतलब अाधुनिक व्यक्तिगत यौन-प्रेम से है, जो इसके पहले संसार मे कही नही देखा गया था। यह विकास कही पर एकनिष्ठ विवाह के भीतर हुआ, कहीं उसके समानान्तर हुआ और कही उसका विरोध करके हुआ। परन्तु , इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस विकास का उद्भव इस स्थिति से हुआ कि जर्मन लोग अब भी युग्म-परिवारों में रहते थे और जहा तक सम्भव था, उन्होंने नारी की तदनुरूप स्थिति को एकनिष्ठ विवाह पर आरोपित कर दिया। इसकी उत्पत्ति कदापि जर्मन मनोवृति की अद्भुत नैतिक शुद्धता के कारण नही हुई, जो वास्तव में इस बात तक सीमित थी कि व्यवहार में युग्म-परिवार के अन्दर वैसे भीषण नैतिक विरोध नहीं प्रगट होते थे, जैसे कि एकनिष्ठ विवाह में होते हैं। इसके विपरीत , सच तो यह है कि जर्मन लोग देश से बाहर निकलने पर-विशेष रूप से दक्षिण- पूर्व में काले सागर की तटवर्ती स्तेपियों मे रहनेवाले बंजारों के बीच पहुंचकर-नैतिक दृष्टि से काफी पतित हो गये थे और बंजारों से जर्मनों ने घुड़सवारी सीखने के अलावा भयंकर अप्राकृतिक व्यभिचार भी सीख लिया था। इसकी वहुत साफ गवाही एमियानस ने ताइफालों के बारे में और प्रोकोपियस ने हेरुलों के बारे मे दी है। यद्यपि एकनिष्ठ रवार ही परिवार का वह एकमात्र ज्ञात रूप है जिससे आधुनिक यौन प्रेम का विकास हो सकता था, तथापि इसका यह मतलब नहीं है कि इस प्रकार के परिवार के भीतर पति-पत्नी के पारस्परिक ८७
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