के दूसरे पहलू के बिना पहले पहलू का होना भी नामुमकिन है। परन्तु यह मालूम होता है कि जब तक उनकी पलियो ने उन्हें सवक नही सिखाया, तब तक पुरुप ऐसा नहीं सोचते थे। एकनिष्ठ विवाह के साथ-साथ दो नये पान समाज के रंगमच पर स्थायी रूप से उतर आये : एक - पत्नी का प्रेमी यानी जार, दूसरा-जारिणी का पति। इसके पहले ये पात्र इतिहास में नहीं देखे गये थे। पुरुषों ने नारियो पर विजय प्राप्त की थी, किन्तु विजेता के माथे पर टीका लगाने का काम पराजित ने बडी उदारतापूर्वक अपने हाथ मे लिया था। व्यभिचार, परस्त्रीगमन पर प्रतिबंध था, उसके लिये सख्त सजा मिलती थी, पर फिर भी वह दबाया नही जा सकता था। वह एकनिष्ठ विवाह और हैटेरिज्म के साथ-साथ एक लाजिमी सामाजिक रिवाज बन गया था। पहले की तरह अब भी वच्चो के पितृत्व का निश्चित' होना केवल नैतिक विश्वास पर आधारित था, और किसी भी तरह हल न होने- वाले इस अन्तर्विरोध को हल करने के लिये Code Napoleon की धारा ३१२ मे यह विधान किया गया था: L'enfant conçu pendant le mariage a pour père le mari -- 'विवाह-काल में गर्भ-धारण होने पर पति को बच्चे का पिता समझा जायेगा। 11 एकनिष्ठ विवाह-प्रथा के तीन हजार वर्ष तक चलने का अन्तिम परिणाम यही निकला था। इस प्रकार, एकनिष्ठ परिवार के वे उदाहरण , जिनके द्वारा उसकी ऐतिहासिक उत्पत्ति सच्चे रूप में प्रतिविम्बित होती है और जिनके द्वारा पुरुष के एकच्छन्न प्राधिपत्य से उत्पन्न पुरुष और नारी का तीखा विरोध साफ जाहिर होता है, हमारे सामने उन विरोधो और द्वंद्वों का चित्र लघु रूप में पेश करते हैं, जिनमें से होकर सभ्यता के युग के प्रारम्भ से वर्गो मे बंटा हुआ समाज बढ रहा है, और जिन्हें वह कभी न तो हल कर पाता है और न दूर कर पाता है। जाहिर है कि मैं यहां एकनिष्ठ विवाह के केवल उन उदाहरणो का जिक्र कर रहा हूं जिनमें वैवाहिक जीवन सही माने में इस पूरी प्रथा के प्रारम्भिक स्वरूप के नियमों के अनसार चलता है, पर जिनमें पति के आधिपत्य के खिलाफ पली विद्रोह करती है। लेकिन सब विवाहों मे ऐसा नहीं होता, यह जर्मन कूपमंडूक से अधिक और कौन
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