o1 है। विजयी सेना के नायक अपने पदों के क्रमानुसार मबसे सुन्दर युवतियों को अपने लिये छाट लेते है। मालूम है कि 'इलियाड' महाकाव्य की पूरी कथा-वस्तु का केन्द्रीय तत्त्व ऐसी ही एक दासी के बारे में एकिलस और एगामेम्नोन का झगड़ा है। होमर की रचनायो मे प्रत्येक महत्त्वपूर्ण नायक के सम्बन्ध में एक ऐसी बदिनी यवती का जिक्र आता है, जो उसकी हम- विस्तर है और हमसफर भी। इन युवतियों को उनके मालिक अपने घर ले जाते है, जहा उनकी विवाहिता पत्नियां होती हैं, जैसे कि ईस्विलस का एगामेम्नोन कसाड़ा को अपने घर ले गया था। इन दासियों से जो पुत्र पैदा होते है, उनको पिता की जायदाद में से एक छोटा-मा हिस्सा मिल जाता है और वे स्वतन्त्र नागरिक समझे जाते है। टेलामोन का एक ऐसा ही जारज पुन ट्यूकोस है, जिसे अपने पिता का नाम ग्रहण करने की इजाजत दी गयी। विवाहिता पली से उम्मीद की जाती थी कि वह इन सारी बातों को चुपचाप सहन करेगी और खुद कठोर पतिव्रत्यधर्म का पालन करेगी तथा पतिपरायण रहेगी। यह सच है कि वीर-काल मे यूनानी पली का, सभ्यता के युग की पत्नी से अधिक आदर होता था। परन्तु पति के लिये उसका केवल यही महत्त्व था कि वह उसके वैध उत्तराधिकारियो की भा है, उसके घर की प्रमुख प्रबंधकी है और उसकी उन दामियो की दारोगा है जिनको वह जब चाहे, अपनी रखेल बना सकता है, और बनाता भी है। एकनिष्ठ परिवार के साथ-साथ चुकि समाज मे दासता भी प्रचलित थी, और सुन्दर दासियां पूर्णतः पुरष की सम्पत्ति होती थी, इसलिये एक- निष्ठ विवाह पर शुरू से ही यह छाप लग गयी कि वह केवल नारी के लिये एकनिष्ठ है, परन्तु पुरुप के लिये नही । और आज तक उसका यही स्वरूप चला पाता है। जहां तक वीर-काल के बाद के यूनानियो का सवाल है, हमें डोरियनों और आयोनियनो मे भेद करना चाहिए। कई वातो मे डोरियन लोगो मे, जिनकी क्लासिकीय मिसाल स्पार्टी है, होमर द्वारा वर्णित वैवाहिक सम्बन्धों से भी अधिक प्राचीन सम्बन्ध मिलते है। पार्टी मे हम एक ढंग का युग्म- विवाह पाते है, जिसे वहां के राज्य ने प्रचलित विचारो के अनसार थोड़ा परिवर्तित कर दिया था। युग्म-विवाह का वह एक ऐसा रूप है जिसमें यूथ- विवाह के भी अनेक अवशेष मिलते है। जिस विवाह मन्तान नहीं थी, उसे भंग कर दिया जाता था। राजा एनाक्सनड्रिडस ने (६५० . ७६
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