पितृमत्तात्मक परिवार के साथ हम लिखित इतिहास के क्षेत्र में प्रवेश करते है , और यह एक ऐमा क्षेत्र है जिसमे तुलनात्मक विधि शास्त्र हमारी वडी महायता कर सकता है। और सचमुच इम क्षेत्र में हम उसके कारण काफी प्रगति करने में सफल हुए है। हम मक्सिम कोवालेव्स्की ('परिवार और मम्पत्ति की उत्पत्ति और विकास की रूपरेखा', स्टॉकहोम, १८६०, पृष्ठ ६०-१०० ) के प्राभारी है कि उन्होंने यह बात सावित कर दी कि पितृसत्तात्मक कुटुम्ब-समुदाय (Hausgenossenschaft), जैसा कि उसे हम सर्बिया और बुल्गारिया के लोगों में आज भी ādruga (जिसका मतलब बिरादरी जैसी चीज़ है ) या bratstvo (भ्रातृत्व ) के नामों से चलता हुआ पाते है , और जो थोडे बदले हुए रूप में पूरव के लोगो में भी मिलता है , यूथ-विवाह से विकसित होनेवाले मातृसत्तात्मक परिवार के और आधुनिक संसार के व्यक्तिगत परिवार के बीच की संक्रमणकालीन अवस्था है। कम से कम जहा तक पुरानी दुनिया की संस्कृत जातियो का - पार्यों तथा सामी लोगो का - सम्बन्ध है , यह बात सावित हो गयी मालूम पडती है। इस प्रकार के कुटुम्ब-समुदाय का सबसे अच्छा उदाहरण आजकल हमे दक्षिणी स्लाव लोगो के zadruga के रूप में मिलता है। इसमे एक पिता के कई पीढियों के वशज और उनकी पत्निया शामिल होती है। ये सब लोग साथ-साथ एक घर मे रहते है, मिलकर अपने खेतो को जोतते है, एक समान भंडार से भोजन और वस्त्र प्राप्त करते है और इस्तेमाल के बाद जो चीजे बच रहती है, वे सब की सामूहिक सम्पत्ति होती है। इस समुदाय का प्रबंध घर के मुखिया (domain) के हाथ मे रहता है। वह बाहरी मामलो में समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है, छोटी-मोटी चीजो को दे-ले सकता है, घर का हिसाब-किताव रखता है, और इन बातों तथा घर के काम-काज का नियमित रूप से संचालन करने के लिये जिम्मेदार समझा जाता है। घर के मुखिया का चुनाव होता है और यह भी ज़रूरी नही है कि वह कुटुम्ब का सबसे बूढा सदस्य हो। घर की औरतों और उनके काम का संचालन घर की मुखिया (domatica) करती है। जो प्रायः donacin की पत्नी होती है। लड़कियो के लिये वर चुनने में उमका मत महत्त्वपूर्ण और प्रायः निर्णायक होता है। परन्तु फिर भी सर्वोच्च सत्ता कुटुम्ब-परिषद् के हाथ मे रहती है। कुटुम्ब के सभी वालिग लोग- पुरुप और नारी-इस परिषद् के सदस्य होते हैं। घर का मुखिया . -- अपना
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