पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/६४

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सभ्य मानव को यहां जो कुछ इतना अजीब लग रहा है, वह वास्तव मे केवल मातृ-सत्ता तथा यूथ-विवाह के नियमो का परिणाम है। कुछ और जातियों में वर के मित्र और सम्बन्धी, या विवाह मे पाये हुए अतिथि , विवाह के समय ही वधू पर अपने परम्परागत पुराने अधिकार का इस्तेमाल करते है, और वर की वारी सब के अन्त में आती है। मिसाल के लिये , प्राचीन काल में वलियारिक द्वीपो मे, अफ्रीका की औजिल जाति में, और एबीसीनिया की बारिया जाति मे आजकल भी यही चलन है। कुछ और जातियो में एक अधिकारी व्यक्ति- कवीले या गोत्र का प्रमुख, कामिक , शमन , पुरोहित , राजा, या उसकी जो भी उपाधि हो, ऐसा कोई एक व्यक्ति - समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में वधू के साथ सुहागरात के अधिकार का प्रयोग करता है। इस प्रथा को नव-रोमाचक रगो मे रंगने की चाहे जितनी कोशिश की जाये , पर इसमें सदेह नही कि अलास्का प्रदेश के अधिकतर आदिवासियों मे (बक्रोफ्ट , 'आदिवासी नस्ले', भाग १, पृष्ठ ८१), उत्तरी मैक्सिको के ताहू लोगों मे (वही, पृष्ठ ५८४), और कुछ अन्य जातियों में यह jus primae noctis • यूथ- विवाह के अवशेष के रूप मे आज भी पाया जाता है। और पूरे मध्य युग में, कम से कम उन देशों में , जहा शुरू मे कैल्ट जाति के लोग रहते थे, यह प्रथा, जो वहां सीधे-सीधे यूथ-विवाह से निकली थी, प्रचलित थी। इसका एक उदाहरण पारागों प्रदेश है। जवकि कैस्टील में किसान कभी भूदास नही रहा , पारागों में एक अत्यन्त गर्हित भूदास-प्रथा प्रचलित थी, और वह उस समय तक कायम रही जब तक कि १४८६ में फर्दीनांद कंपोलिक ने एक फरमान जारी कर उसे ख़तम नही कर दिया। इस फरमान में कहा गया है: 'हम फैमला देते है और ऐलान करते है कि यदि कोई किसान किमी प्रौरत से विवाह करता है तो ऊपर जिन ला?" (senyors: धेरनों) "का जिक्र किया गया है... वे पहली रात उसके साथ नहीं सोयेंगे, न वे शादी की रात को औरत के सोने चले जाने के याद अपने अधिकार के प्रतीकस्वरूप उसके बिस्तर पर मोर उमरे ऊपर भागन जमायेंगे। न ही ये लाई किमान के बेटे-बेटियों से , मजूरी मुहागरात का अधिकार।-सं०