रूपो के समाज के विकास के विभिन्न चरणों के साथ आंगिक संबंध और उत्पादन के ढंग पर इन रूपों की निर्भरता को उद्घाटित करते हैं। वह दिखाते है कि कैसे उत्पादक शक्तियों के विकास के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था पर गोत्र व्यवस्था के बंधनों का प्रभाव कम होता गया और निजी स्वामित्व की विजय के साथ-साथ एक ऐसे समाज का उदय हुआ जिसमे पारिवारिक ढांचा पूर्णतः संपत्ति के संबंधों पर आधारित था।
एगेल्स पूजीवादी परिवार की कटु आलोचना करते है। वह निजी स्वामित्व के बोलबाले की परिस्थितियों मे पुरुषों के समक्ष स्त्रियो की असमानता के आर्थिक आधार का उद्घाटन करते है और दिखाते है कि पूजीवादी उत्पादन पद्धति के उन्मूलन के फलस्वरूप ही स्त्रियों को वास्तविक अर्थो मे मुक्त कराया जा सकता है। वह बताते है कि केवल समाजवादी समाज मे ही, जिसमे स्त्रियो को सामाजिक उत्पादन में व्यापक तौर से भाग लेने का अवसर दिया जायेगा, सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों मे वे पूर्णतः पुरुषो के समकक्ष होगी और उन्हे घरेलू कामकाज के बोझ से छुटकारा मिलेगा (यह बोझ समाज उत्तरोत्तर अपने कंधो पर लेता जायेगा), दोनो लिंगों की समानता, परस्पर आदर तथा वास्तविक प्रेम पर आधारित नये, उच्च प्रकार का परिवार अस्तित्व में आयेगा।
एगेल्स की रचना का काफी अंश स्वामित्व के विभिन्न रूपो के आविर्भाव तथा विकास और विभिन्न सामाजिक व्यवस्थाओं की उन पर निर्भरता की गवेषणा से संबंध रखता है। वह अकाट्य तौर पर प्रमाणित करते है कि निजी स्वामित्व की प्रथा अनादि-अनन्त नही है और आदिमकालीन इतिहास मे एक लंबे समय तक उत्पादन के साधन सामूहिक संपत्ति थे। वह विस्तार से दिखाते है कि कैसे उत्पादक शक्तियो के विकास और श्रम-उत्पादकता की वृद्धि के साथ अन्य जनो के श्रम के फलों को हथियाने की संभावना और फलतः, निजी स्वामित्व तथा मानव द्वारा मानव का शोषण पैदा होते है और कैसे इस प्रकार समाज-विरोधी वर्गों में बट जाता है। राज्य की उत्पत्ति इसी का प्रत्यक्ष परिणाम थी।
राज्य की उत्पत्ति और सार की समस्या एगेल्स की रचना का मुख्य विषय, मुख्य बिंदु है। एंगेल्स द्वारा इस समस्या का सर्वतोमुखी विवेचन राज्य विषयक मार्क्सवादी विचारधारा के विकास का एक महत्त्वपूर्ण चरण था और इस दृष्टि से उनकी पुस्तक मास की 'लूई बोनापार्त की अठारहवीं
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