२ परिवार <1 मोर्गन ने, जिन्होंने अपने जीवन का अधिकतर भाग इरोक्वा लोगो के बीच बिताया था- ये लोग अभी तक न्यूयार्क राज्य मे रहते है और जिन्हें उनके एक कवीले { सेनेका कबीले) ने अंगीकार कर लिया था, इन लोगों में रक्त-सम्बद्धता की एक ऐसी व्यवस्था पायी जो उनके वास्तविक पारिवारिक सम्बन्धों से मेल न खाती थी। इन लोगों में यह नियम था कि एक-एक जोडा आपस मे विवाह करता था, और दोनों पक्षो मे से कोई भी आसानी से विवाह को भंग कर सकता था। मौन इस व्यवस्था को "युग्म-परिवार" कहते थे। ऐसे किसी विवाहित जोड़े को सन्तान को सब लोग जानते-मानते थे, इसलिये इसमें तनिक भी सन्देह नहीं हो सकता था कि किसको किसका पिता, माता, पुन , पुत्री, भाई या बहन कहना चाहिये। पर वास्तव में इन शब्दों का प्रयोग विलकुल उल्टे ढंग से होता था। इरोक्वा पुरुष न सिर्फ अपने बच्चों को, बल्कि अपने भाइयों के बच्चों को भी, पुत्र पोर पुत्री कहता है, और वे उसे पिता कहते हैं। दूसरी पोर, वह अपनी बहनों के बच्चों को अपना भाजा और भाजी कहता है और वे उसे मामा कहते है। इसी तरह , इरोक्वा स्त्री स्वयं अपने बच्चों के साथ- साथ अपनी बहनों के बच्चों को भी पुत्र और पुनी कहती है, और वे उसे माता कहते है। दूसरी भोर, वह अपने भाइयों के बच्चों को भतीजा और भतीजी कहती है, और वह स्वयं उनको वुमा कहलाती है। इसी प्रकार, भाइयों के बच्चे एक दूसरे को भाई-बहन कहते है, और बहनों के बने भी एक दूसरे को यही कहकर पुकारते है। इसके विपरीत एक स्त्री के और उसके भाई के बच्चे एक दूसरे को ममेरे-फुफेरे भाई-बहन का ये केवल कोरे नाम नहीं है, बल्कि इन नामों से रक्त-सम्बन्ध के
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