पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/२३५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

'महा एड्डा' और 'लघु एड्डा'। पहले की तेरहवी सदी की एक हस्तलिखित प्रति १६४३ में प्राइमलैण्ड के एक पादरी स्वेइन्सन द्वारा प्रकाश में लायी गयी थी। दूसरे का संकलन (स्काल्दों के गीतो की किताब के रूप मे) तेरहवी सदी के प्रारम्भ मे कवि तथा इतिहामकार स्नोरी स्तुरलुसन ने किया था। 'एड्डा' के गीतो में गोत्र-व्यवस्था के भग और लोगों के दूसरी जगहो पर जाकर बसने के काल के स्कैंडिनेवियन समाज की स्थिति प्रतिविंवित हुई है। उनमे प्राचीन जर्मनो की लोकगाथाम्रो की झलक भी मिलती है। 'प्रोगिस्द्रेका' (Ogisdrecka) 'महा एड्डा' का एक गीत है। यह काव्य के परवर्ती टेक्स्टो मे ही मिलता है । एंगेल्स ने यहां गीत की ३२ वी और ३६ वी पंक्तिया उद्धृत की है। -पृ० ४८ 29 "प्रासा और "वाना" - स्कैंडिनेवियाई पुराणकथानो में देवताओ के दो समूह। 'इंगलिंग वीर-गाया' -प्राइसलैण्ड के मध्ययुगीन कवि तथा वृत्तकार स्नोरी स्तुरलुसन की प्राचीन काल से लेकर १२ वी शताब्दी तक के नार्वेजियन राजाओं के बारे में लिखी पुस्तक की पहली गाथा।-पृ० ४८ 30 L H. Morgan. Ancient Society. London, 1877, p. 425.-90 % 11 J. J. Bachofen. Das Mutterrecht. XXIII, 385 आदि । -पृ० ५२ ३२ का० मावर्स के मौर्गन के 'प्राचीन समाज' विषयक नोट्स । -पृ० ५२ 33 Caesar, Bello Galico.-40%7 31 The People of India. Edited by J. F. Watson and J. W. Kaye. Vol. I-V. London. 1868-1872.-9. k3 " यहा इशारा प्रास्ट्रेलिया के अधिकांश आदिवासी कबीलों मे पाये जाने- वाले दो विशेष समूहो की अोर है, जिनमे प्रत्येक के पुरप एक निश्चित समूह की स्त्रियो के साथ विवाह कर सकते थे। हर कवीले मे ऐसे समूहो की संख्या चार से लेकर आठ तक होती थी।-पृ० ५३ २३३