में प्रकाशित अपनी 'सभ्यता की उत्पत्ति' नामक पुस्तक में) इस यूथ- विवाह (Communal marriage) को एक ऐतिहासिक तथ्य के रूप में ग्रहण किया । इमके तुरन्त बाद ही, १८७१ में, मोर्गन नयी, और कई मानो मे, निर्णयात्मक सामग्री लेकर सामने आये। उनको यह विश्वास हो गया था कि इरोक्वा लोगो मे रक्त-सम्बन्ध की जो अनोखी व्यवस्था मिलती है, वह सयुक्त राज्य अमरीका में रहनेवाले सभी प्रादिवासियों में समान रूप से पायी जाती है और इसलिये वह एक पूरे महाद्वीप में फैली हुई है। हालाकि वह वहा प्रचलित विवाह-प्रथा से उत्पन्न वंशक्रम की प्रत्यक्षत. प्रतिकूल है। तब उन्होंने अमरीका की संघ सरकार को इस बात के लिये राजी किया कि वह दूसरी जातियों में पायी जानेवाली रक्त-सम्बन्धों की व्यवस्थानों के वारे में सूचना संग्रह करे। इस काम के लिये उन्होने खुद प्रश्नावलिया और तालिकाएं तैयार की। उनके जो उत्तर प्राप्त हुए, उनमे मोर्गन को पता चला कि (१) अमरीकी इंडियनों में रक्त-सम्बन्धों की जो व्यवस्था मिलती है, वह एशिया के भी अनेक कबीलों में पायी जाती है, और कुछ संशोधित रूपो मे अफ्रीका और आस्ट्रेलिया में भी पायी जाती है ; (२) हवाई द्वीप समूह में , तथा अन्य आस्ट्रेलियाई द्वीपों मे पाये जानेवाले यूथ विवाह के रूप मे, जोकि अब लुप्तप्राय है, इस व्यवस्था का पूरा स्पष्टीकरण हो जाता है , और (३) विवाह के इस रूप के साथ-साथ उन द्वीपों मे रक्त-सम्बन्धों की एक ऐसी व्यवस्था पायी जाती है जिसका कारण केवल यही हो सकता है कि इसके भी पहले वहां एक और प्रकार के यूथ- विवाह की प्रथा थी जो अब मिट चुकी है। मोर्गन ने जो सामग्री इकट्ठा की और उससे जो नतीजे निकाले , उनको उन्होने १८७१ में अपनी पुस्तक 'रवत-सम्बन्धों और विवाह-सम्बन्धो की व्यवस्थाएं 10 मे प्रकाशित किया और इस प्रकार उन्होंने बहस के क्षेत्र को पहले से कही अधिक विस्तृत कर दिया। रक्त-सम्बन्ध की व्यवस्थानो को प्राधार मानकर उन्होंने उनके अनुरूप परिवार के रूपों का पुनर्निर्माण किया और इस तरह मानवजाति के मालिक काल की खोज और अधिक दूरगामी गतानुदर्शन के लिये का नया मांग खोल दिया। यदि यह प्रणाली सही मान ली जाये, तो मैक- लेनन द्वारा जोड़कर खड़ा किया गया सुघड़ सिद्धान्त हवा में उड़ जाता है। . २२
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