था, बल्कि उसका अर्थ यह भी था कि वे अपनी जमीन का हस्तान्तरण कर सकते थे। जब तक भूमि गोत्र की सम्पत्ति थी, इस बात की सम्भावना न हो सकती थी। पर जब जमीन के नये मालिक ने गोत्र और कवीले के सर्वोच्च अधिकार के बंधनों को तोडकर फेंक दिया, तो उसके साथ-साथ उसने उस नाते को भी तोड़ डाला जो अभी तक उसे जमीन से अटूट रूप में बाधे हुए था। इसका क्या मतलब था, यह उसके सामने मुद्रा ने सोफ कर दिया, जिसका आविष्कार जमीन पर निजी स्वामित्व कायम होने के साथ-साथ हुआ था। अव जमीन का विकाऊ माल बन जाना सम्भव हो गया ; अव उसे बेचा जा सकता था और रेहन किया जा सकता था। जमीन पर निजी स्वामित्व का कायम होना था कि रेहन रखने की प्रथा का भी प्राविष्कार हो गया ( देखिए एथेंस का उदाहरण )। जिस प्रकार एकनिष्ठ विवाह के साथ हैटेरिज्म और वेश्यावृत्ति जुडी रही, उसी प्रकार अब जमीन पर निजी स्वामित्व के साथ रेहन-प्रथा जुड गयी। तुम जमीन का पूर्ण , स्वतंत्र और हस्तान्तरणीय स्वामित्व चाहते थे। एवमस्तु ! जो FIET, at fast! - tu l'as voulu, George Dandin!* व्यापार का विस्तार , मुद्रा का चलन , सूदखोरी, जमीन पर निजी स्वामित्व और रेहन की प्रथा- इन सब चीज़ों के साथ यदि एक तरफ एक छोटे से वर्ग के हाथ मे बडी तेजी से धन एकत्रित तथा केन्द्रित होने लगा, तो दूसरी तरफ आम लोगो की ग़रीबी बढ़ने लगी तथा तवाह और दिवालिया लोगों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। धनिकों के इस नये अभिजात वर्ग ने, जिस हद तक वह क़बीलों के पुराने कुलीनों से भिन्न था, पुराने कुलीनो को स्थायी रूप से पष्ठभूमि मे ढकेल दिया (एथेंस में, रोम में और जर्मनों मे यही हुआ)। और धन के आधार पर स्वतंत्र मनुष्यों के भिन्न-भिन्न वर्गों में इस तरह बंट जाने के साथ ही साथ, यूनान में सास तौर पर दासों की संख्या में वड़ी भारी वृद्धि हो गयी", जिनकी बेगार पर पूरे समाज का ऊपरी ढांचा खड़ा किया गया था। 'तुम यही चाहते थे, जार्ज दांदी!" (मोलियेर, 'जार्ज दांदी')1-सं० 'एथेंस में दासों की. सख्या क्या थी, यह जानने के लिये पृष्ठ ११७ देखिये। (प्रस्तुत खण्ड मे पृष्ठ १५२ । - सं०) कोरिन्थ नगर में, जब वह उत्कर्ष के शिखर पर था, दासों की संख्या ४,६०,००० और ईजिना में ४,७०,००० थी। दोनों नगरों मे दासो की संख्या स्वतंत्र नागरिकों को दसगुनी थी। (एंगेल्स का नोट ) २१५
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