करने की शक्ति इसके सिवा और कहां से आयी कि वे विकास के चर्बर युग में थे, उनमें गोत्र-समाज के रीति-रिवाज मे और मातृ-सत्ता के काल की विरासत उनमे अव भी जीवित थी? कम से कम तीन सबसे महत्त्वपूर्ण देशो में - जर्मनी, उत्तरी फ्रांस और इंगलैंड में ~ यदि वे मार्क-समुदायो के रूप मे गोत्रव्यवस्था का एक अंश अक्षुण्ण रखने और उसे सामन्ती राज्य के अंदर समाविष्ट करने में सफल हुए और इस प्रकार उत्पीडित वर्ग को, किमानो को, मध्ययुगीन भूदास- प्रथा की कठिनतम परिस्थितियो मे भी स्थानीय ऐक्य और प्रतिरोध का एक साधन प्रदान कर सके, जो साधन न तो प्राचीन काल के दासो को तैयार मिला था और न आधुनिक सर्वहारा को मिला है -- तो इसका श्रेय उनकी बबंर अवस्था को, गोनो में बसने की उनकी शुद्ध बर्बर प्रया को नहीं, तो और किस बात को है ? और अन्त में, वे दास-प्रथा के उस नरम रूप को विकसित करके उसे सार्वत्रिक बनाने में सफल हुए, जो पहले उनके देश में प्रचलित था और बाद को जिसने अधिकाधिक रोमन साम्राज्य में भी दासता का स्थान ले लिया, और जिसने , जैसा कि फूरिये ने पहली वार जोर देकर कहा था उत्पीड़ितों को एक वर्ग के रूप में अपने को धीरे-धीरे मुक्त कर लेने का 54 HIETAT FETT (fournit aux cultivateurs des moyens d'affran- chissement collectil et progressif.) और इस कारण वह दास-प्रथा से कही श्रेष्ठ था, क्योंकि जहां दास-प्रथा मे दास की केवल वैयक्तिक मुक्ति हो सकती थी और बीच की कोई अवस्था सम्भव न थी (प्राचीन काल में कभी सफल विद्रोह के द्वारा दास-प्रथा का अंत नही हुआ), वहा मध्य युग के भूदासों ने धीरे-धीरे और एक वर्ग के रूप में अपने को मुक्त कर लिया या। यदि जर्मन यह मव कर सके, तो इसका कारण इसके सिवा और क्या था कि वे वर्वर अवस्था मे थे, जिमकी वजह से वे प्राचीन काल की श्रम-दासता, या प्राच्य घरेलू दासता, किसी भी प्रकार की पूर्ण दास-प्रथा पर नहीं पहुंच पाये? 158 , काश्तकारों को सामूहिक रूप से घोरे-धीरे मुक्ति पाने के साधन प्रदान करता है। -सं० २०१
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