पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१८५

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सत्ता जन-सभा के हाथ में थी। राजा अथवा क़बीले का मुखिया सभापतित्व करता था और जनता निर्णय करती थी। मर्मरध्वनि का अर्थ होता था "नहीं", जोर से नारे लगाने और हथियार खड़काने का मतलब होता था "हां"। जन-सभा न्यायालय का भी काम करती थी। उसके सामने शिकायतें पेश की जाती थी और उनका फैमला किया जाता था; और मृत्यु-दंड तक दिया जाता था। मृत्यु-दंड केवल कायरता, विश्वासघात और अप्राकृतिक दुराचार के मामलो में दिया जाता था। गोन और अन्य उपशाखाएं भी सामूहिक रूप से और अपने मुखिया के सभापतित्व में मुकदमों की सुनवाई करती थी। जर्मनों के शुरू के सभी न्यायालयों की भांति यहां भी सभापति को केवल जिरह करने और अदालत की कार्रवाई का संचालन करने का अधिकार होता था। जर्मनी में हर जगह और हमेशा यही प्रथा थी कि दंड का निर्णय पूरा समुदाय करता था। सीज़र के समय से कबीलों के महासंघ बनने लगे। उनमे से कुछ में अभी से राजा भी होने लगे थे। यूनानियो और रोमवासियों की तरह इन लोगों में भी सर्वोच्च सेनानायक शीघ्र ही तानाशाह बनने की आकांक्षा करने लगे। कभी-कभी वे अपनी आकांक्षा पूरी करने में सचमुच सफल भी हो जाते थे। इस तरह जो लोग सत्ता का अपहरण करने में सफल हो जाते थे वे कदापि निरंकुश शासक नहीं होते थे। परन्तु फिर भी वे गोत्र- व्यवस्था के बंधनों को तोड़ने लगे। जिन दासो को मुक्त किया जाता था, उनकी आम तौर पर नीची हैसियत होती थी, क्योकि वे किसी गोत्र के सदस्य नहीं हो सकते थे, परन्तु नये राजाओं के ये कृपापात्र अक्सर ऊचे पद, धन और सम्मान प्राप्त करने में सफल हो जाते थे। रोमन साम्राज्य को जीतने के बाद मेनानायकों के साथ यही हुआ और वे बड़े-बड़े देशों के राजा बन गये। फ्रैंक लोगो मे राजा के दासी और मुक्त दासो ने शुरू में राज-दरवार में और बाद में पूरे राज्य में बड़ी भूमिका अदा की। नये अभिजात वर्ग का एक बड़ा भाग इन्हीं लोगों का वंशज था। राजतंत्र के उदय मे एक संस्था से विशेष रूप से सहायता मिली और वह थी निजी सैन्य दल। हम ऊपर देख चुके है कि किस प्रकार अमरीकी इंडियनों में गोत्रों के साथ-साथ स्वतंत्र से युद्ध चलाने के लिये निजी संस्थायें वनायी जाती थीं। जर्मनो में इन निजी संस्थानों ने स्थायी संगठनों का रूप धारण कर लिया। जो सेनानायक १८५