यौन-व्यापार चलता था, मान शब्दजाल के बजाय यह साबित कर दिखाया कि प्राचीन चिरप्रतिष्ठित साहित्य में इस अवस्था के बहुत सारे चिह्न विखरे पडे हैं जिनसे पता चलता है कि यूनानी तथा एशियाई लोगों मे एकनिष्ठ विवाह की प्रथा जारी होने के पहले यह अवस्था वास्तव में पायी जाती थी और उसमें न केवल पुरुप एक से अधिक स्त्रियों के साथ सम्भोग करता था, बल्कि स्त्री भी एक से अधिक पुरषों के साथ सम्भोग करती थी, और इससे प्रचलित प्रथा का कोई उल्लंघन नहीं होता था। उन्होंने साबित कर दिखाया कि यह प्रथा तो मिट गयी, किन्तु पर-पुरुषों के आगे स्त्रियों के निर्धारित अवधि तक आत्मसमर्पण के रूप में अपना चिह्न छोड़ गयी, जिसके द्वारा स्त्रिया एकनिष्ठ विवाह करने का अधिकार खरीदने को मजबूर होती थी। उन्होंने साबित कर दिखाया कि उपरोक्त कारणो से शुरू मे केवल स्त्रियों के नाम से ही, एक माता के बाद दूसरी माता के नाम से ही, वश-परम्परा चल सकती थी, और निश्चित , या कम से कम मान्य पितृत्व के साथ एकनिष्ठ विवाह के प्रचलन के बहुत दिन बाद तक भी एकमात्र स्त्री-परम्परा की वैधता मानी जाती रही। उन्होंने साबित कर दिखाया कि शुरू में चूकि बच्चों की केवल माता के बारे मे ही निश्चय हो सकता था, इसलिये माता का, और आम तौर पर स्त्रियो का समाज में इतना ऊंचा स्थान था, जितना कि उनको बाद में कभी नहीं मिला। वाखोफेन ने इन तमाम प्रस्थापनामो को इतनी स्पष्टता के साथ नहीं रखा था, उनका रहस्यवाद उनके ऐसा करने मे बाधक हुमा। परन्तु उन्होने साबित कर दिखाया कि ये तमाम प्रस्थापनाएं सही है, और १८६१ में यह एक पूरी क्रान्ति कर डालने के बराबर था। बाखोफेन का मोदा पोथा जर्मन में, यानी उस जाति की भापा मे लिखा गया था जो उस जमाने में आधुनिक परिवार के प्रागैतिहासिक काल में सबसे कम दिलचस्पी लेती थी। इसलिये वह अज्ञात ही बने रहे। इस क्षेत्र में उनके एकदम बाद के उत्तराधिकारी, जिन्होने बालोफेन का नाम भी नहीं सुना था, १८६५ मे सामने आये। यह उत्तराधिकारी जी० एफ० मैक-लेनन थे। अपने पूर्ववर्ती के वह बिलकुल उल्टे थे। बाखोफेन यदि प्रतिभाशाली रहस्यवादी थे, तो मैक-लेनन एकदम नीरस वकील । बाखोफेन यदि कवि की उर्वर कल्पना से काम लेते थे, तो मैक-लेनन अदालत मे बहस करनेवाले वकील को तरह अपने तर्क . 2-410 १७
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