अब पुरानी क्यूरियानो की सभा के सभी राजनीतिक अधिकार (कुछ नाम मात्र के अधिकारो को छोड़कर ) सेटुरियानों की इस नयी सभा को मिल गये । और तव , जैसा एथेस मे हुअा था, क्यूरियानो और उनके अग, गोत्रों की हैसियत गिरकर महज लोगो की निजी तथा धार्मिक संस्थाओ जैसी हो गयी और इस रूप मे वे बहुत दिन तक घिसटते हुए चलते रहे। हालाकि क्यूरियायो की सभा' को लोग जल्दी ही भूल गये। गोत्रो पर आधारित पुराने तीन कबीलो को भी राज्य से बहिष्कृत करने के लिये चार प्रादेशिक कबीलो की स्थापना की गयी, जिनमे से हर एक शहर के चौथाई हिस्से में रहता था और कुछेक राजनीतिक अधिकारो का उपभोग करता था। इस प्रकार रोम मे भी, तथाकथित राजतंत्र के खत्म होने से पहले ही, व्यक्तिगत रक्त-सम्बन्धो पर आधारित पुरानी समाज-व्यवस्था नष्ट कर दी गयी और उसकी जगह पर प्रादेशिक विभाजन तथा धन-सम्पत्ति के भेदो पर अाधारित एक नये संविधान की , एक वास्तविक राज्य-संविधान की स्थापना की गयी। यहा सार्वजनिक सत्ता उन नागरिको के हाथ मे थी जिन पर सैनिक सेवा का दायित्व था और उसकी धार न केवल दासो के खिलाफ थी, बल्कि उस तथाकथित सर्वहारा के भी खिलाफ़ थी जो सैनिक सेवा से बहिष्कृत और शस्त्रधारण करने के अधिकार से वंचित था। जव अन्तिम रेक्स , टारक्वीनियस सुपर्वस को, जो सत्ता हडपकर सचमुच राजा बन बैठा था, निकाल बाहर किया गया और रेक्स की जगह पर, समान अधिकार वाले दो सेनानायक ( कौंसिल) नियुक्त किये गये ( इरोक्वा लोगो में भी यही चलन था), तब नये संविधान का और आगे विकाम ही किया गया था। राज्य के पदो तथा राज्य की भूमि के बंटवारे को लेकर चलनेवाले पेट्रीशियनो और प्लेवियनों के ममस्त संघर्ष समेत रोमन गणराज्य का पूरा इतिहास-चक्र इसी मंविधान की परिधि के भीतर चलता रहा। इसी परिधि के भीतर कुलीन अभिजात वर्ग अन्तिम रूप से उन बड़े-बडे भूमि और धन पतियो के वर्ग में घुल-मिल गया, जिन्होंने धीरे-धीरे किसानों की, जिन्हें मैनिक सेवा ने बरबाद कर दिया था, सारी जमीन हड़प ली और इस तरह हागिल हुई विशाल नयी जमीनो पर उन्होंने दासो से ती कराना शुरू किया, इटली को वीरान कर दिया और इस तरह न केवल सम्राटी के शासन के लिये, बल्कि उनके बाद मानेवाले जर्मन चर्वरों के लिये भी रास्ता बोल दिया।
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