'जिस नर की उसने हत्या की , नहीं रक्त का या उससे सम्बन्ध ।। जिम पुरप से उस पुरुप की हत्या करनेवाली नारी का कोई रक्त- मम्बन्ध नहीं है, भले ही वह उसका पति क्यों न हो, उसकी हत्या परिमार्जनीय है और इसलिये एरिनियो का उससे कोई वास्ता नहीं है। उनका काम तो रक्त-सम्बन्धियों की हत्याओं का बदला लेना है, और इनमे भी सबसे अधिक जघन्य हत्या , भातृ-सत्ता के नियमों के अनुसार, माता की हत्या है। अब पोरेस्टस की तरफ से एपोलो बहस मे कूदता है। एथेना एरियोपेगाइटीज नामक एथेस के जूरियों से मसले के बारे में अपना मत देने को कहती है। अभियुक्त को बरी कर देने के पक्ष में और सजा देने के पक्ष में वरावर-बराबर मत पड़ते हैं। तब अदालत की अध्यक्षा होने के नाते एथेना ओरेस्टम के पक्ष में अपना मत देती है और उसे वरी कर देती है। मातृ-सत्ता पर पितृ-सता की विजय होती है। खुद एरिनी गामियों के शब्दी मे "छोटे वंश के देवता" एरिनी राक्षमियों पर विजय प्राप्त करते है और एरिनी देवियां अन्त में नया पद स्वीकार करके नयी व्यवस्था की मेवा करने के लिये कायल की जाती है। 'पोरेम्टीया' की यह नमी, लेकिन विलकुल मही व्याख्या जिन पृष्ठो में दी गयी है, वे यायोफेन की पूरी पुस्तक का सबसे अच्छा और मममे मुन्दर पश है। परन्तु साथ ही उनसे यह बात भी माफ हो जाती है कि युद बायोफेन को भी एरिनी देवियो, एपोलो और एयेना में कम में पम उतना ही विनाम है जितना इस्पिलम को अपने काल में था; लगता है कि यायोफेन को वाकई यकीन है कि यूनान में वीर काल में इन्ही देवनानी ने मातृ-गत्ता को हटाने और उनकी जगह पितृ-गता को कायम करने का घमारपूर्ण कार्य मापन्न किया था। जाहिर है कि धर्म को दिए प्रतिक्षा का निर्णायक प्रेस तत्व गमञ्जनेयाने इस दृष्टिकोण की परिणति पन्न में पोर. रहस्यवाद में ही हो मरती है। इसलिये यागोफेन का मोटा पोया पा गाना नापी पटिन नाम है और उसे पना गदेय माभार भी गही है। पग्नु न गव याना में एक अपगामी भनुगंधान में में गॉन गो माता रम नहीं होती। पारण निया पहले भादमी में मिनि पाश्मि पाल से उग मसात प्रयाया के विषय में, निमम me 4
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