युग के उत्पादन का यह वडा भारी गुण था जो मभ्यता का उदय होने पर नष्ट हो गया। प्रकृति की शक्तियों पर ग्राज मनुष्य को जो प्रबन अधिकार प्राप्त हो गया है और मनुष्यों के बीच जो स्वतंत्र सघबद्धता आज सम्भव है, उनके आधार पर उत्पादन के इम गुण को फिर से प्राप्त करना अगली पीढ़ियों का काम होगा। यूनानियों में ऐसी हालत नहीं थी। जब पशुओं के रेवड़ तथा ऐश- आराम के सामान कुछ व्यक्तिमों की निजी सम्पत्ति बन गये, तब व्यक्तियों के बीच वस्तुप्रो का विनिमय होने लगा और उपज माल बन गयी। बाद मे जो क्रान्ति हुई, उसकी जड़ मे यही चीज थी। पैदा करनेवाले जब अपनी पैदावार का खुद उपभोग करने की स्थिति मे न रह गये , बल्कि विनिमय के दौरान उसे हाय से निकल जाने देने लगे, तो उम पर उनका नियंत्रण जाता रहा। अब उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं रहा कि उनकी पैदावार का क्या हुआ, और इस बात की सम्भावना पैदा हो गयी कि पैदावार करनेवालों के खिलाफ इस्तेमाल की जाये, वह उनका शोपण तथा उत्पीड़न करने का साधन बन जाये। अतएव , यदि कोई समाज व्यक्तियों के बीच होनेवाले विनिमय को बन्द नहीं करता, तो वह बहुत दिनों तक खुद अपने उत्पादन का स्वामी नहीं रह सकता और अपनी उत्पादन की प्रक्रिया के सामाजिक परिणामों पर नियंत्रण नहीं बनाये रख सकता। एथेंसवासियो को शीघ्र ही यह पता चल गया कि व्यक्तिगत विनिमय के आरम्भ हो जाने तथा उपज के माल में बदल जाने के बाद वह कितनी जल्दी पैदावार करनेवाले पर अपना शासन कायम कर लेती है। माल के उत्पादन के साथ-साथ व्यक्तिगत खेती भी शुरू हो गयी। लोग अलग- अलग अपने फ़ायदे के लिये जमीन जोतने लगे। उसके थोडे अरसे बाद जमीन पर व्यक्तिगत स्वामित्व कायम हो गया। फिर मुद्रा प्रायी, यानी वह सार्वत्रिक माल आया जिमका अन्य सभी मालों से विनिमय हो सकता है। परन्तु जब मनुष्यो ने मुद्रा का आविष्कार किया, तब उन्होंने यह जरा भी नहीं सोचा था कि वे एक नयी सामाजिक शक्ति को, ऐसी मार्वत्रिक शक्ति को पैदा कर रहे है जिसके सामने पूरे समाज को झुकना पड़ेगा। यह थी वह नयी शक्ति जो अपने पैदा करनेवालों को मर्जी या जानकारी के विना अचानक पैदा हो गयी थी, और जिसके यौवन की निर्मम प्रचंडना को एमवामियो को झेलना पड़ा। १४४
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