कानूनी सुरक्षा उन इलाको में भी प्राप्त हो गयी थी जो उनके अपने कबीलों के इलाके न थे। परन्तु यह गोत्र-व्यवस्था की जड़ खोदने की दिशा में पहला कदम था, क्योंकि यह ऐसे लोगों को नागरिक बनाने की दिशा में पहला कदम था, जो किसी भी ऐटिका के कवीले से सम्बन्धित नही थे और जो एथेंसवासियों की गोत्र-व्यवस्था की परिधि के एकदम बाहर थे और बाहर ही रहे थे। थीसियस को एक और प्रथा जारी करने का श्रेय दिया जाता है। वह यह कि गोत्रों, विरादरियों और कबीलो का लिहाज किये बगैर पूरी जनसंख्या को तीन वर्गों में बांट दिया गया : eupatrides, यानी कुलीन लोग ; geomoroi, यानी जमीन जोतनेवाले और demiurgi, यानी दस्तकार। सार्वजनिक पदाधिकारी बनने का हक केवल कुलीन लोगों को दे दिया गया। मच है कि सार्वजनिक पदों को कुलीन लोगो के लिये सुरक्षित कर देने के अलावा, यह विभाजन अमल में नहीं पाया, क्योंकि वह विभिन्न वर्गों के वीच कोई और कानूनी अन्तर नहीं पैदा करता था। फिर भी यह विभाजन बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उससे वे नये सामाजिक तत्त्व सामने आते है, जो इस बीच चुपचाप विकसित हो गये है। उससे पता चलता है कि गोत्रो में कुछ परिवारों के सदस्यों के ही पदाधिकारी होने की प्रचलित प्रथा अब बढकर इन परिवारों का विशेषाधिकार बन गयी, जिसका कोई विरोध नहीं करता। उससे पता चलता है कि ये परिवार, जो अपनी धन-दौलत की वजह से पहले ही शक्तिशाली हो चुके थे, अब अपने गोत्रों के बाहर एक विशेषाधिकारप्राप्त वर्ग के रूप में संयुक्त होने लगे थे, और नवजात राज्य ने इस अधिकारहरण को मान्यता प्रदान की थी। इसके अतिरिक्त , उससे यह भी पता चलता है कि अब खेतिहर तथा दस्तकार के बीच श्रम- विभाजन इतना मजबूत हो गया था कि वह समाज मे गोनों तथा कवीलों के पुराने विभाजन की श्रेष्ठता को चुनौती देने लगा था। अन्त मे, इस विभाजन ने यह घोपित कर दिया कि गोत्र-ममाज तथा राज्य-मता के बीच एक ऐसा विरोध है जिसका ममन्वय नहीं हो सकता। राज्य स्थापित करने की इस पहली कोशिश का मतलब यही था कि गोन के सदस्यों को विशेषाधिकारप्राप्त उच्च वर्ग और अधिकारहीन निम्न वर्ग में वाटकर गोत्र को छिन्न-भिन्न कर दिया गया और अधिकारहीन वर्ग को दो वृत्तिमूलक वर्गों में बांट दिया गया और इस प्रकार उन्हें एक दूमरे के गिलाफ ५ कर दिया गया। १४१
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