माल का उत्पादन अपेक्षाकृत उन्मति कर चुका था और उसी हद तक माल का व्यापार भी बढ़ गया था। अनाज के अलावा शराब बनाने के लिये अंगूर और तेल निकालने के लिये तिलहन की भी खेती होने लगी थी। ईजियन ममुद्र मे होनेवाला व्यापार फ़ोनीशियाई लोगो के हाथों से निकलकर अधिकाधिक ऐटिका यागियों के हाथों में पहुंच रहा था। जमीन की खरीद और विक्री , तथा ऐती और दस्तकारी, व्यापार और जहाजरानी के बीच श्रम-विभाजन के बरावर बढ़ते जाने के फलस्वरूप गोत्रो, बिरादरियों और कबीलो के सदस्य जल्दी ही आपम में घुल-मिल गये। जिन इलाको में पहले एक विरादरी या कबीले के लोग रहा करते थे, वहां अब नये लोग पहुंच गये, जो इसी देश के निवासी होते हुए भी इन कबीलों या बिरादरियों के सदस्य नहीं थे, और इसलिये जो खुद अपने निवास स्थान मे अजनबी थे। कारण कि शाति-काल मे हर बिरादरी और हर क़बीला खुद अपने मामलो का प्रबंध करता था और एथेंस मे बैठी जन-परिषद् या वैसिलियस की सलाह नही लेता था। परन्तु किसी बिरादरी या कबीले के इलाके के वे लोग, जो उस बिरादरी या कबीले के सदस्य नही थे, स्वभावतः इस प्रबंध में भाग नहीं ले सकते थे। इससे गोन-व्यवस्था की विभिन्न संस्थानो के नियमित रूप से काम करने मे इतना व्याघात पड़ गया कि वीर-काल में ही इसके इलाज की जरूरत महसूस होने लगी थी। चुनांचे एक नया विधान लागू किया गया, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे योसियस ने तैयार किया था। इस परिवर्तन को खास विशेषता यह थी कि एथेंस मे एक केन्द्रीय प्रशासन कायम कर दिया गया था। मतलब यह कि कुछ ऐसे मामले, जिनका प्रबंध अभी तक कबीले स्वतंत्र रूप से किया करते थे, अब सब कबीलों के सामूहिक मामले घोषित कर दिये गये और उनका प्रबध एथेंस में बैठी एक प्राम परिषद् को सौंप दिया गया। इस प्रकार अमरीका की किसी भी आदिवासी जन-जाति नै जितना विकास किया था उससे एथेनी लोग एक कदम आगे बढ़ गये। पड़ोसी कबीलो के साधारण संघ से प्रागे बढ़कर अब सारे क्वीले एक ही जन-जाति के रूप मे घुल-मिल गये । इससे एथेसवासियो के सामान्य सार्वजनिक कानून की एक पूरी व्यवस्था उत्पन्न हो गयी, जो कबीलों और गोत्रों के कानूनी दस्तूर से ऊपर समझी जाती थी। इस व्यवस्था मे एथेंस के सभी नागरिको को नागरिक को हैसियत से कुछ अधिकार और अतिरिक्त १४०
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