60 1101 "जब कभी किसी ऐसे मामले पर बहस होती थी जिसके निपटारे के लिये जनता का सहयोग लेना आवश्यक होता था, तब जनता से जवर्दस्ती कुछ कराने का भी कोई तरीका हो सकता था, इसका होमर को रचनायो में कोई संकेत नहीं मिलता। उस समय , जबकि कवीले का हर वयस्क पुरुष सदस्य योद्धा होता था, जनता से अलग कोई ऐसी सार्वजनिक सत्ता नही थी जो जनता के खिलाफ खड़ी की जा सके। आदिम जनवाद अभी तक पूरे उरूज पर था। परिपद् और basileus (मेनानायक) को शक्ति और हैसियत पर विचार करते समय हमे इस बात पर सबसे पहले ध्यान देना चाहिये। ३ . सेनानायक (basileus)। इस विषय पर मार्क्स ने यह टीका को: "यूरोपीय विद्वान , जिनमे से अधिकतर जन्म से ही राजाओं के अनुचर थे, बैसिलियस को इस रूप में पेश करते है मानो वह प्राधुनिक ढंग का राजा हो। अमरीकी जनतंत्रवादी मोर्गन इस पर एतराज करते है। मिठबोले मि० ग्लैडस्टन और उनकी पुस्तक 'संसार की युवावस्था' 1105 का जिक्र करते हुए मोर्गन ने बहुत व्यंग्य के साथ , किन्तु सचाई के साथ कहा है : "मि० ग्लंडस्टन ने वीर-काल के यूनानी मुखियाओं को अपने पाटको के सामने राजाप्रो और राजकुमारो के रूप में पेश किया है और साथ ही उनमे भद्र पुरुषों के गुण भी जोड़ दिये हैं। परन्तु मि० ग्लंडस्टन भी यह मानने को मजबूर है कि कुल मिलाकर यूनानियों में ज्येष्ठाधिकार के कानून का प्रचलन काफी स्पष्ट है, पर बहुत अधिक स्पष्ट नहीं है। "106 सच तो यह है कि मि० ग्लंडस्टन ने खुद भी यह यात महमूस की होगी कि इस प्रकार की प्रनिश्चित ज्येष्ठाधिकार व्यवस्था- जो काफी स्पष्ट है, पर बहुत स्पष्ट नहीं है- वास्तव में न होने के बराबर है। इरोक्वा तथा अन्य इण्डियनो मे मुखियानों के पदों के मामले में वंशपरम्परा का क्या स्थान था, यह हम देख चुके हैं। चूंकि सभी पदाधिकारी प्राय: गोत्र के भीतर से ही चुने जाते थे, इमलिये इम हद तक ये पद गोत्र के भीतर पुश्तैनी थे। धीरे-धीरे यह प्रथा बन गयी कि कोई पद माली होता था तो वह पुराने पदाधिकारी के गवसे निकट के गोत्र-सम्बन्धी- भतीजे या मांजे- को मिलता था। उसे छोड़ दूगरे को यह पद तभी दिया जाता १३४
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