पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१२९

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, का पर्याप्त और निर्विवाद प्रमाण था कि उस गोत्र के सदस्यों के पूर्वज एक थे। केवल उन लोगो पर यह प्रमाण लागू नहीं होता था जिनको गोद लिया गया था। ग्रोट* और निबूहर की भांति यह मानने से इनकार करना कि गोत्र के सदस्यों के बीच रक्त-सम्बन्ध होता था, और इस प्रकार गोत्र को केवल एक काल्पनिक वस्तु , कल्पना की उडान भी बना डालना, यह सिर्फ़ 'वैचारिक' वैज्ञानिको को, यानी कुर्सीतोड़ किताबी कीड़ो को ही शोभा देता है। चूंकि पीढ़ियों की शृंखला अब , विशेषकर एकनिष्ठ विवाह की उत्पत्ति के कारण , बहुत दूर की चीज़ बन गयी है, और चूकि अतीत की वास्तविकता अब पुराणकथा में प्रतिविम्वित होती मालूम पड़ती है, इमलिये हमारे भलेमानस कूपमंडूकों ने यह मान लिया और आज भी वे समझे बैठे है कि काल्पनिक वंशावली से यथार्थ गोत्र उत्पन्न है !" 88 अमरीकियो की तरह यहा भी बिरादरी एक मातृ-गोत्र थी, जो कई संतति-गोत्रो मे बंट गयी थी, पर साथ ही उसने उन्हे एक सूत्र में भी बाध रखा था और अक्सर वह उन सब की एक ही वशमूल से उत्पत्ति का सकेत करती थी। इस प्रकार ग्रोट के अनुसार, 'हेकेटीयस की बिरादरी के सभी समकालीन सदस्यो का वंश सोलह पीढी ऊपर चढने पर, एक समान देवता के रूप में एक पूर्वज से जाकर मिल जाता है। 199 इसलिये , इस विरादरी के सभी गोत्र शब्दशः भ्रातृ-गोत्र थे। होमर अब भी इस बिरादरी का उस प्रसिद्ध ग्रंश में, जहां एगामेम्नोन को नेस्टर यह सलाह देता है, एक फ़ौजी इकाई के रूप में जिक्र करते है : “ अपनी सेना की व्यूह-रचना कबीलों और बिरादरियो के अनुसार करो ताकि विरादरी बिरादरी की मदद कर सके और कबीला कबीले की। विरादरी का यह अधिकार होता है और उसका यह कर्तव्य माना जाता है कि अपने किसी मदस्य का क़त्ल हो जाने पर क़ातिल पर मुकदमा चलाये। » 200 • माक्र्म की पाडुलिपि में प्रोट को जगह दूसरी शताब्दी के यूनानी विद्वान पोलक्म का नाम दिया गया है जिसका प्रोट अक्मर हवाला देते १३१