पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/११६

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जिनमे काफी बड़ी दूरियां तय की जाती थी, सैनिको की संख्या नगण्य ही होती थी। किसी महत्त्वपूर्ण महिम के लिये जब ऐसे कई दस्ते इकट्ठा होते थे, तो हर दस्ता सिर्फ अपने नेता का हुक्म मानता था। युद्ध योजना की एकसूत्रता कमोवेश इन नेताओं को परिषद् द्वारा सुनिश्चित होती थी। चौथी शताब्दी में ऊपरी राइन क्षेत्र के निवासी एलामान्नी लोग भी इसी तरह अपने युद्ध का संचालन करते थे, जैसा कि एमियानस मार्सेलिनस के वर्णन से स्पष्ट है। ७. कुछ कबीलो में एक प्रधान मुखिया भी होता है, परन्तु उसे बहुत कम अधिकार प्राप्त होते हैं। वह सालेमो में से ही एक होता है। जब कोई ऐसी समस्या उठ खड़ी होती है जिसका तुरन्त कोई फैसला करना जरूरी होता है, तब प्रारजी तौर से प्रधान मुखिया फैसला कर देता है, जो तब तक लागू रहता है जब तक कि कवायली परिषद् बैठकर कोई अन्तिम फैसला नही कर देती। यह कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने की ढीली-ढाली और जैसा कि बाद में मालूम हुआ, आम तौर पर निकल और अधूरी कोशिश थी। वास्तव में, जैसा कि पाठक आगे देखेंगे, हमेशा नहीं, तो प्रायः हर मामले में कबीले का सर्वोच्च सेनानायक ही कार्यकारी अधिकारी बन बैठा। अधिकतर अमरीकी इडियन कभी कवायली सगठन की अवस्था से आगे नहीं बढ़ पाये। थोड़े-थोड़े लोगो के अनेक कवीले होते थे, जो एक दूसरे से कटे हुए रहते थे, क्योंकि उनके बीच बड़े-बड़े सीमान्त प्रदेश होते थे। उनमे सदा लड़ाइयां चलती रहती थी, जिनसे वे कमजोर बने रहते थे। परिणाम यह था कि थोड़े-से लोग एक बहुत विशाल इलाके में बिखरे हुए थे। कहीं कोई अस्थायी संकट आ जाता था तो उसका सामना करने के लिये रक्त-मम्बन्धी कबीलो में सहयोग हो जाता था, पर संकट के दूर होते ही यह मोर्चा फिर बिखर जाता था। परन्तु कुछ खास इलाकों में ऐसे कबीलों ने, जो शुरू मे रक्त-सम्बन्धी थे पर बाद में अलग हो गये थे, स्थायी संघ बनाकर अपनी एकता फिर से कायम कर ली। इस प्रकार इन कबीलो ने राष्ट्र गठन की ओर पहला कदम उठाया। अमरीका में ऐसे संघ का मबने विकसित रूप हमें इरोक्वा लोगो मे मिलता है। उनका प्रादिदेश मिमीमिपी नदी के पश्चिम में था। वहा वे शायद महान डकोटा परिवार की एक शाखा के रूप में रहते थे। अपने प्रादिदेश को छोड़ने के . ११८