कर लेते थे। मजनबियों को गोत्र के सदस्यों की व्यक्तिगत सिफ़ारिश पर सदस्य यनाया जाता था-पुरष अजनवी को भाई या बहन और स्त्रियां अपनी सन्तान मान लेती थी। सम्बन्ध के पक्का होने के लिये मावश्यक था कि गोन वाकायदा रस्मी तौर पर अजनबी को अपना सदस्य स्वीकार करे। जिन गोत्री के सदस्यों की संख्या बहुत ज्यादा पट जाती थी, वे अक्सर दूसरे गोनों मे से, उनकी सहमति से, सामूहिक भर्ती करके फिर भरे-पूरे बन जाते थे। इरोक्वा लोगों में बाहरी भादमियों को गोत्र के सदस्य के रूप मे अंगीकार करने का अनुष्ठान कबीले को परिपद् की एक ग्राम सभा में सम्पन्न किया जाता था। इससे व्यवहार में यह एक धार्मिक अनुष्ठान बन गया था। ८. इडियन गोत्रो मे विशेष धार्मिक अनुष्ठानो का अस्तित्व सिद्ध करना कठिन है, फिर भी इसमे शक नही कि इन लोगों के धार्मिक अनुष्ठान न्यूनाधिक गोत्रो से ही सम्बन्धित होते थे। इरोक्वा लोगो के छः वार्षिक धार्मिक अनुष्ठानों में अलग-अलग गोत्रों के सामों और युद्धकालीन नेताओं की गिनती, उनके पदो के कारण, "धर्म पालकों" मे होती थी और वे पुरोहितो का काम करते थे। ६. हर गोत्र का एक सामूहिक कब्रिस्तान होता है। न्यूयार्क राज्य के इरोववा के गोरे लोगो से चारों ओर से घिर जाने के कारण उनका कब्रिस्तान अब नहीं मिलता, पर पहले वह था। दूसरे इंडियन कबीलो में वह अब भी मिलता है। उदाहरण के लिये टस्कारोरा कबीले में, जिसका कि इरोक्वा से घनिष्ठ सम्बन्ध है। वह यद्यपि ईसाई हो गया है, फिर भी उसके कब्रिस्तान में अभी तक हर गोत्र के लिये कनो की एक अलग पक्ति है, यानी मां तो उसी पंक्ति में दफनायी जाती है जिसमे उसके बच्चे दफनाये जाते हैं, पर पिता को उस पंक्ति मे स्थान नहीं मिलता। और इरोक्वा लोगों में भी, गोन के सभी सदस्य अंतिम क्रिया के समय शोक प्रकट करते है, कन खोदते है, दफनाने के समय के भाषण देते है। इत्यादि। १०. गोन की एक परिषद् होती है जो गोत्र के सभी बालिग सदस्यो- स्त्री और पुरुष दोनो- की जनसभा है। उसमे सभी सदस्यों की आवाज़ बराबर होती है। यह परिपद साखेमों और युद्ध-काल के नेताओं को चुनती थी और इनको अपदस्थ करती थी और इसी प्रकार शेष "धर्म-पालकों' १११
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