रूप वे है जो यूनानियो में और रोमन लोगों में पाये गये है कि प्राचीनतम काल के यूनानियों तथा रोमन लोगों में गोन, बिरादरियों और कबीलो के रूप में समाज का जो संगठन मिलता था, हूबहू वैसा ही संगठन अमरीकी पहले तक, और यहां तक कि उसके बाद भी, संसार की सभी वर आविर्भाव के पहले के-सामाजिक गठन की बुनियादी विशेषतानो पर भले ही सरल और सीधी मालूम पड़ती हो, पर मोर्गन ने इसका बिलकुल ३ इरोक्वाई गोत्र अब हम मोर्गन की एक और खोज पर प्राते है , जो कम से कम उतन ही महत्त्वपूर्ण है जितनी महत्त्वपूर्ण रक्त-सम्बद्धता को व्यवस्थाओं के आधार पर परिवार के आदिम रूप की पुनरंचना यो। मोर्गन ने साबित कर दिया है कि अमरीकी इंडियन कवीलो में रक्त-सम्बन्धियों के जो समूह थे, जिनके नाम पशुओं के नामों पर रखे जाते थे, वे बुनियादी तौर पर यूनानियों के genea और रोमन लोगों के gentes से अभिन्न थे; गोत्र का प्रारम्भिक रूप वह है जो अमरीका में मिलता है और बाद के इंडियनों मे मिलता है ; और (जहां तक आज उपलब्ध सूत्रो से हम जान सके है ) गोत्र एक ऐसा संगठन है जो सभ्यता के युग में प्रवेश करने के जातियो मे पाया जाता रहा है। यह सावित हो जाने से प्राचीनतम काल के यूनानी तथा रोमन इतिहास की सबसे कठिन गत्थिया एक ही बार सुलझ गयीं। साथ ही इस खोज ने आदिम काल के, अर्थात् राज्य के अप्रत्याशित प्रकाश डाला है। एक बार जानकारी हो जाने पर यह चीन और कि में हाल में ही पता लगाया। १८७१ मे उनकी जो रचना प्रकाशित हुई थी," उसमें वह इस भेद का पता नहीं लगा पाये थे। और जब मोर्गन ने इस १०६
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