नहीं करेंगे कि आज हमारी राय में उन्हें क्या करना चाहिये। वे स्वयं तय करेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिये और उसके अनुसार वे स्वय ही प्रत्येक व्यक्ति के आचरण के बारे मे जनमत का निर्माण करेगे-और बस , मामला ख़तम हो जायेगा। इस वीच , चलिये, हम लोग फिर मोर्गन के पास लौट चलें जिनसे हम बहुत दूर भटक गये है। सभ्यता के युग में जो सामाजिक संस्थाएं विकसित हुई है, उनका ऐतिहासिक अन्वेपण मौर्गन की पुस्तक के अध्ययन क्षेत्र के वाहर है। इसलिये , इस काल मे एकनिष्ठ विवाह का क्या होगा, इस विषय की उन्होंने बहुत संक्षेप में चर्चा की है। मौर्गन भी एकनिष्ठ परिवार के विकास को एक प्रगतिशील कदम मानते है। उनकी राय में भी यह नारी और पुरुष की समानता के लक्ष्य की ओर एक क़दम है, पर वह यह नहीं मानते कि इसके द्वारा मानवजाति उस लक्ष्य पर पूरी हद तक पहुंच गयी है। परन्तु मौर्गन के शब्दों में, 1 "जव यह सत्य स्वीकार कर लिया जाता है कि परिवार एक के बाद एक , चार अलग-अलग रूपों से गुजर चुका है और अब वह अपने पाचवे रूप में है, तब फौरन यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में यह रूप स्थायी बना रहेगा? इस सवाल का सिर्फ यही जवाब दिया जा सकता है कि जैसा कि भूतकाल में हुआ , समाज की प्रगति के साथ-साथ परिवार का रूप भी प्रगति करेगा और समाज के बदलने के साथ-साथ परिवार का रूप भी बदलेगा। परिवार सामाजिक व्यवस्था की उपज है, और वह उसकी संस्कृति को प्रतिबिम्बित करेगा। सभ्यता के प्रारंभ से लेकर अब तक चूकि एकनिष्ठ परिवार में बड़ा सुधार हुआ है और आधुनिक काल में अत्यन्त युक्तिसंगत सुधार हुआ है, इसलिये कम से कम इतना तो माना ही जा सकता है कि उसमें अभी और सुधार हो सकता है और वह उस समय तक होता रहेगा जब तक कि नारी और पुरुप की समानता स्थापित नही हो जायेगी। और यदि सुदूर भविष्य में एकनिष्ठ परिवार समाज की आवश्यकतानो को पूरा करने में असमर्थ सिद्ध होता है, तो आज यह भविष्यवाणी करना असम्भव है कि उसका स्थान विवाह का कौनसा रूप लेगा।" 73
पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१०३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।