पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/९५

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Pada 3] Moral Preparation. ३७ (३) अनुवाद. काफ़िर वही है ' जो सब झूट है', ऐसा कहता है । जो अपना हृदय शुद्ध नहीं रखता । स्वामी का आदेश नहीं मानता । ' ईश्वर कहाँ है ' ऐसा प्रश्न करना जानता है । अपने मन में विवेक नहीं करता । अपनी छाया की ओर दृष्टि रख कर चलता है । कुटुम्बियों पर ज़बरदस्ती कर उनका माल खाता है । कपट का कूड़ा सब उसी में भरा रहता है। जुल्म कर दीन दुखियों को पीड़ा पहुँचाता है । उसके हृदय में तनिक भी अनुकम्पा नहीं आती । स्वामी को वह नहीं पहचानता । ऐसा काफ़िर नरक में ही जायगा ।