पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/८८

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३० परमार्थसोपान | Part I Ch. 1 15. THE LOVE OF GOD AS THE ONLY WAY OF ESCAPE FROM LIFE'S MISERIES. रे दिल गाफिल गफलत मत कर एक दिना जम आवेगा ॥ दे ॥ सौदा करने या जग आया, पूँजी लाया, मूल गँवाया, प्रेमनगर का अन्त न पाया, ज्यों आया त्यों जावेगा ॥ १ ॥ सुन मेरे साजन, सुन मेरे मीता, या जीवन में क्या क्या कीता, सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावेगा परलि पार तेरा मीता खड़िया, उस मिलने का ध्यान न धरिया, टूटी नाव ऊपर जा बैठा, ॥२॥ गाफिल गोता खावेगा ॥ ३ ॥ . दास कबीर कहै समुझाई, अन्त समय तेरा कौन सहाई, चला अकेला संग न कोई, कीया अपना पावेगा 11811