पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/७७

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Pada 9] Incentives १९ (९) अनुवाद. जिस दिन मन रूपी पक्षी उड़ जायगा, उस दिन तेरे तनरूपी तरुवर के सभी पत्ते झड़ जायँगे । इस देह का गर्व न कर | इसको सियार, काग, और गिद्ध खायेंगे । तन की तीन गतियाँ, (१) विष्ठा बनना, (२) कृमि होना और (३) खाक उड़ना इन में से एक को तू, अवश्य प्राप्त होगा । कहाँ वह नीर, कहाँ वह शोभा और कहाँ वे रूपरंग दिखाई देंगे ? जिन लोगोंसे स्नेह करता है, वे ही तुझको देखकर घृणा करेंगे। घर के लोग कहेंगे कि शीघ्र बाहर निकालो नहीं तो भूत होकर पकड़ लेगा और खा लेगा । देवी देवों की मनौती करके जिन पुत्रों का बहुत प्रतिपालन किया, वे ही ( पुत्र ) बांस लेकर खोपड़ी पर मारेंगे और शीश को फोड़कर बिखरा देंगे । ऐ मूढ़ ! अब भी सत-संगति कर । सन्तों में तू कुछ पा जायगा । नर का शरीर धारण कर हरि को नहीं भजेगा, तो तू यम की मार खाएगा । सूरदास कहते हैं, कि भगवान के भजन के विना तू सुजन्म को व्यर्थ ही गँवा देगा !