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परमार्थसोपान [ Part I Ch. 1 CHAPTER 1 Incentives to Spiritual Life. 1. FROM ILLUSION TO ILLUSION. धोखे ही धोखे डहकायो । समुझि न परी विषय - रस गीध्यो हरि-हीरा घर माँझ गँवायो । टे ॥ ज्यों कुरंग जल देखि अवनिकों प्यास न गई दसौं दिसि धायो । जनम जनम बहु करम किए हैं तिन में आपुन आy बँधायो ॥ १ ॥ ज्यों सुक सेमर - फल - आसा लगि निसि वासर हठि चित्त लगायो । रीतौ पयौ जबै फल चाख्यो उड़ि गयो तूल ताँवरो आयो ॥२॥ ज्यों कपि डोरि बाँधि बाजीगर कनकन कौं चौहटै नचायो । सूरदास भगवन्त-भजन बिनु काल व्याल पै आप खवायो ||३||