पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५४४

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iv 87 शून्य शिखरमें सुरत लगाय 7 गोरखनाथ V.7 88 साई अलख पलख में झलके महिपति V 12 89 सात्त्विक श्रद्धा धेनु सुहाई तुलसीदास II 11 90 साधु कि सङगत पाई रे मीराबाई V 3 91 साधो सहज समाधि भली कवीर V 26 92 साधो सो सद्गुरु मोहिं भाव कवीर IV 2 93 सुनारे मैने निर्बल के वल सूरदास IV 15 94 सुनु गिरिजा हरिचरित सुहाये 95 सुनु मुनि तोहि कहउँ सहरोसा. 96 सोइ सच्चिदानंद घनरामा तुलसीदास III 4 तुलसीदास तुलसीदास III 3 II 15 97 सो काफिर जो बोलै काफ दादू II 3 98 हमन है इश्क मस्ताना कवीर V 23 99 है कोई सन्त सहज सुख कवीर V 21 100 हो तो कोई पिये रामरस कवीर V 19