पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५३२

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18 महरम होय सो जान साधो 19 रस गगन गुफा में अजर झर 20 चुवत अमीरस भरत ताल जहँ 21 ऐसो है रे हरिरस V 15 V 16 17 18 22 हो तो कोई पिये रामरस V 19 23 है कोई सन्त सहज सुख V 21 24 दरस दिवाना बावला V 22 25 हमन है इश्क मस्ताना V 23 26 मन मस्त हुवा तब V 24 27 रमैया कि दुलहिनि लूटल V 25 28 साधो सहज समाधि भली V 26 29 कहूँ रे जो कहिये की V 33 30 गुरुने मोहि दीन्हीं अजव V 34 कृष्णानंद 1 मुसाफिर सोता है वेहोस I 3 गिरीशचन्द्र शर्मा 1 बन्धनों की शङखला को V 28 गुलाल 1 तत्त हिण्डोलवा सतगुरु V 29 गोरखनाथ 1 शून्य शिखरमें सुरत लगाय V 7 चरनदास 1 ब्राह्मण सो जो ब्रह्म पिछान II 5 2 करनी विन कथनी इसी II 10 3 और देवल जहँ धुंधली V 10 4 ऐसा देस दिवाना रे V 13 5 जब ते अनहत घोर सुनी V 14