पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५२५

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27 12. विशेषोक्ति- ' कारणसत्त्वेऽपि कार्याभावः ' । (a) खरच न खूटै, चोर न लूटै, दिन दिन बढ़त सवायो । (b) पुनि पुनि पवित परम रस, तब हूँ प्यास न जाय ॥ -I. 5. 1. . - II. 5.17. 13. पर्यायोक्त ( Circumlocutory assertion ) - कविरा खड़ा बजारमें, लिये लुकाठी हाथ जो घर फूँके आपना, चले हमारे साथ | 14. काव्यलिंग - लिङ्गम् = ( i ) कारणम् ; (ii) चिन्हम्. (a) सवद निरंतर से मन लागा, मलिन वासना त्यागी । ऊठत बैठत कबहु न छूटै, ऐसी तारी लागी ॥ -II. 2. 13. -I. 5-26. काव्यलिंग with पर्याय - Reason with consecutive state- ments becomes even more impressive :- - (b) घर घर माँगे टूक, पुनि भूपति पूजै पाय ते तुलसी तब राम विनु, ते अब रामसहाय ॥ 15. साकृत ( Significant epithet )- -II. 3-8. रकीवों ने लिखाई हैं रपटें, जा जा के थाने में कि अकवर नाम लेता है, खुदा का इस जमाने में ॥ - II, 4-21.