पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५२१

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23 (b) From particular to general : Kalidasa excels in illustrations from particular to general; e. g. सरसिज मनुविद्धं शैवलेनापि रम्यं मलिनमपि हिमांशोर्लक्ष्म लक्ष्मी तनोति । इयमधिकमनोज्ञा वल्कलेनापि तन्वी किमिव हि मधुराणां मण्डनं नाकृतीनाम् -Sak. I Act. (c) Both the varieties are found combined in the following song of Kabir :- करमगति टारै नाहिँ टरी मुनि वसिष्ठ से पण्डित ज्ञानि, सोधि के लगन धरी । सीता हरन मरन दशरथ को, वन मे विपति परी । कहत कबीर सुनो भाई साधो, होनी होके रही। 6. व्यतिरेक - (a) जो सुख पावो राम भंजन मे, सो सुख नाहिं अमीरी में । (b) साधो सहज समाधि भली आँख न मूदों कान न रुँध, तनिक कष्ट नहि धारों खुले नैन पहिचान हाँस हाँस, सुन्दर रूप निहारों | सहजसमाधि, superior to हठसमाधि. I-1-13 -I-2-4 --1. 5. 26.