पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५१७

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19 E. Mystical 8. Mystical Realisation as a reward for devotion:— (a) रूपासक्ति - साई अलख पलख में झलके, लहलहाट विजली चमके । मन गर हुआ, मन गरक (b) श्रवणासक्ति - -I. 5. 12 जब तें अनहत घोर सुनी इन्द्री थकित गलित मन हुआ, आसा सकल भुनी । (c) अनुभवासक्ति in general :- - रम्भा नृत्य करे विन पग सूँ, चिन पायल ठनकारै । सिद्धि गर्जना अति ही भारी, घुँघुरु-गति झनकारै, गुरु सुकदेव करै जब किरपा, ऐसा नगर दिखावै । चरनदास वा पग के परसे, -I. 5. 14 आवागमन नसावे || -I. 5. 13 IX The अलंकारs in परमार्थसोपान. The Alamkaras are also an expression of ध्वनि, as we have already seen that the Rasas are an expression of af. The Alamkaras are based on three principles - साधर्म्य, वैधर्म्य and लेप. भरतमुनि in his नाट्यशास्त्र has dealt with only 4 अलंकारs - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा and अर्थान्तरन्यास, Bhāmaha