पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३८८

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परमार्थसोपान - टिप्पणी [ Part I Ch. IV 38 शब्द में सरसाना ( From स ) - Brings out an atonement समा सुरत between self and sound. = 66 प्रवेश करना; प्रवेश कराना | ( From रस ) = रसपूर्ण होना: रसपूर्ण करना । ef. आप पिएं मोहिं प्यावे. "" — Note:-Kabir insists so much upon the value of the aara that he would not fear even to chal- lenge his spiritual teacher if his instruction fell short of the सतनाम the indestructible, the ever abiding name cf. गुरु रामानन्द जी समझ गहो मेरी वैयां ॥ टे. ॥ जो बालक झुनझुनिया खेले उनमें का मैं नहीं हूँ । म्हार तो एक सत् की पूजा पत्थर पूजा नहीं है ॥ १ ॥ वैयाँ पकड़ो तो गेहे के पकड़ो फिर छुट के नहीं। चौदासे चौरासी चेला उनमें का मैं नहीं हूँ ॥ २ ॥ थारे नाव में खेवटिया नाहीं लहर उठे विकराला । कहे कबीर सुनो हो रामानन्द जी जान बूझ करना चेला ॥ ३ ॥ 3 अलख ( From Sk. अलक्ष्य ) = जो देखा न जा सके, अगोचर, इन्द्रियातीत । डोलत - from Sk. दोलन = आन्दोलन | डिगै - from Sk टिक् = to move . डोलत डिगै न 6 — He is not unsteady while he is uodd- ing. cf. A remove local does not bring about a remove internal '- Bacon. प्रान पूज्य किरिया = वह क्रिया जिसमें प्राण ही पूज्य माना जाता है, प्राण प्रधान क्रिया, हठयोग । सहज समाधि - As opposed to समाधि to be attained by हठयोग. अरुझावे - From अरुझाना causal of अरुझना = उलझना, फँसना, अटकना जैसे काँटे में | 11 नाह अनहत अरुझावे Does not get himself entangled in अनाहूत uor allows others to do so. ( अन्तर्भा वितण्यर्थ ).