पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३७५

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Padas 1-21 The Relation of God 23 वसि चन्दन चोआ वहु सुगंध - May this refer to olfactory experience. cf. निवृत्तिनाथ and सोपान on mysti- cal experience of smell. मनहिं माहिं - Another reading is मंत्रहिं माहि. जहँ जाइए तहँ जल पखान - ef. Marathi, ' तार्थी धोंडा पाणी । देव रोकडा सज्जनीं ॥ '- तुकाराम । Also cf. रामदास, जेथे तेथें धोंडापाणी '. बलिहारी निछावर | cf. ' वलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दिया दिखाय । सकल निकल भ्रम - सकल - extensive; निकल-intensive. it is जोय - From जोवना = जोहना = देखना | Note :- 1. On account of the word possible that the might have been composed by his disciple. 2. The poem occurs in Nanak's ग्रंथसाहेब. 3. Another heading suggested for the Pada is "Ramananda's mystical experience of colour and light. " पञ्च - देहलीदीपन्याय से पाती और पुहुप दोनों से सम्बद्ध है । पाती पञ्च पुहुप पाँच पत्ती वाले पाँच फल । यहाँ पर पञ्च पुष्पों से पञ्च ज्ञानेन्द्रिय, पञ्च कर्मेन्द्रिय, पञ्चमहाभूत, पञ्च तन्मात्रा आर पञ्च विषय अभिप्रेत हैं । निरञ्जन = कल्मषशून्य, माया से अलिप्त, अञ्जनविरहित, तमो- विरहित, पापाचराहत, पापविरहित ( परमात्मा ) । कीन्हा - Past Tense = किया in the sense of Imperative on account of उतारै, करि above. आतमलीना (adj.) = आत्मा को लोन करो । Note : - The distinction between अर्पण and लोन: अर्पण is dedication ; लोन means absorbed, merged. ध्वनि = नाद = The अनाहत of Kabir. धुनि घण्टा = घण्टाध्वनि ।