पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३४३

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Dohas 25-27] Ascent २८५ (२५) अनुवाद. सुरत ब्रह्मरन्ध्र को उड़कर चरणावस्त्री हो गई । सुख प्राप्त हुआ; साहब मिल गया । आनन्द हृदय में समाता नहीं है । (२६) अनुवाद. यार इश्क में बड़ा मज़ा है। मार भी है और प्यार भी है । मन्सूर सूली पर खड़ा है । प्राणदण्ड भी है और प्रिय दर्शन भी है। (२७) अनुवाद. अदब छोड़ने से मन्सूर को सूली पर चढ़ना पड़ा । वास्तव में वह हक़ ही था । पर एकही पद (अनलहक कहने) से उसकी बेअदबी प्रकट हो गई ।