पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३१९

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Dohas 22-24] Pilgrimage (२२) अनुवाद. 'तुलसीदास कहते हैं, ऐसे नाम को रीझ कर या खीज - कर किसी भी प्रकार भजो । खेत में पड़ा हुआ बीज जब जमता है, तब उल्टा पड़ा हो या सीधा - यह विचार निरर्थक The है | (२३) अनुवाद. २६१ भाव, कुभाव, असूया, और आलस्य से भी नाम जपने से दसों दिशाओं में मंगल होता है । जैसे शंकर ने भावसहित नाम को जपा | वाल्मीकि ने और बालि ने. कुभाव से या अभाव से जपा | कुम्भकर्ण ने आलस्य से और दशमुख ने असूया से जपा | (२४) अनुवाद. रहीम कहते हैं कि गली तंग है ( इसमें ) दूसरा नहीं ठहरता । आप हैं तो हरि नहीं; हरि हैं तो आप नहीं । प्रेम रस पीना चाहते हो; फिर मान भी रखना चाहते हो । एक म्यान में दो खङ्ग रहते न ( आखों से ) देखा, न कानों से सुना ।