पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३१२

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२५४ परमार्थसोपान [ Part II Ch. 4 13. THE NAME ALONE AS CAPABLE OF CONFERRING IMMORTALITY. शून्य मरै अजपा मरै, अनहत हूँ मरि जाय । दास कवीरा ना मरे, राम नाम रट लाय ॥ 14. EXTREME VALUE OF THE PRESENT MOMENT. काल करो सो आज कर, आज करो सो अन्य | पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कव्व ॥ 15. TAKE CARE OF EVERY ONE OF YOUR. BREATHS. श्वास श्वास पर हर भजो, वृथा श्वास मत खोय । श्वास विराना पाहुना, आना होय न होय ॥ कविरा माला काठ की, बहुत जतन का फेर । माला साँस उसाँस की, जामें गाँठ न मेर ॥ स्वाँसा की कर सुमिरनी, अजपा को कर जाप | परम तत्व को ध्यान धर, सोऽहं आफैं आप ||