पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३०८

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२५० परमार्थसोपान [Part Ii Ch. 4 7. BOTH PERSONAL AND IMPERSONAL GOD AS SUBORDINATE TO THE NAME. अगुन सगुन दुइ ब्रह्म सरूपा । अकथ, अगाध, अनादि अनूपा || मोरे मत बड़ नाम दुहुँ ते । किय जेहि युग निज बस निज वृते ॥ निर्गुन तें एहि भाँति बड़, नाम प्रभाव अपार । कहेऊँ नाम बड़ राम तें, निज विचार अनुसार ॥ 8. HOW CAN YOU PERCEIVE THE UNPERCEIVABLE ? MEDITATE ON THE NAME OF GOD, O FOOL! हम लखि लखिहि हमार, लखि हम हमार के बीच । तुलसी अलखे का लखै, राम नाम जपु नीच ॥ 9. TULSIDAS ON THE SOVEREIGN STATUS • OF THE NAME OF RAMA. एक छत्र एक मुकुट मनि, सब बरनन पर जोउ ।. तुलसी रघुवर नाम के, बरन बिराजत दोउ ||